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केंद्रीय स्वास्थ्य बजट कितना होगा स्वस्थ? … नरेंद्र मोदी सरकार पास होगी या फेल! … जनता की टिकी है नजर

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
कोरोना महामारी में जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था। महामारी ने देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूदा कमियों को उजागर कर दिया। बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र का अवरुद्ध विकास अचानक स्पष्ट हो गया। महामारी ने देश में दयनीय स्थिति से गुजर रही स्वास्थ्य व्यवस्था की न केवल पोल खोल दी थी, बल्कि इसमें बहुतायत सुधार किए जाने के पाठ को भी पढ़ाया था। हालांकि, तीसरी पारी खेलने का मौका पानेवाली केंद्र में मोदी सरकार ने आज तक कोई सबक नहीं सीखा है। आज भी एम्स समेत सरकारी अस्पतालों के साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत दयनीय ही है। ऐसे में २३ जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य सेक्टर पर सरकार का कितना फोकस होता है? क्या स्वास्थ्य बजट को स्वस्थ करने पर ध्यान होगा? साथ ही बजट में मोदी सरकार पास होती है या फेल, इस पर जनता की निगाहें टिकी हुई हैं।
आगामी २३ जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में चालू वित्त वर्ष २०२४-२५ के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बार बजट से लोगों को बहुत सारी उम्मीदें हैं। इसमें बेरोजगारी दूर करने, महंगाई कम करने, टैक्स का बोझ कम करने, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र आदि पर होने वाली घोषणाओं पर आम जनता की उम्मीदें टिकी हैं। हालांकि, जनता की उम्मीदों पर केंद्र सरकार कितनी खरी उतरती है, ये बजट के बाद स्पष्ट हो जाएगा।
वर्तमान में हिंदुस्थान में प्रति १०,००० मरीजों पर १० डॉक्टर, १७ नर्स और दाइयां हैं। इसकी तुलना में चीन और ब्राजील जैसे मध्यम आय वाले देशों में प्रति १०,००० व्यक्तियों पर १७ डॉक्टर और ४० नर्सें और दाइयां हैं। इसके साथ ही अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे उच्च आय वाले देशों में प्रति १०,००० व्यक्तियों पर ३९ डॉक्टर और १२० नर्सें और दाइयां हैं।

आधारभूत ढांचा विकसित करने की जरूरत
महाराष्ट्र समेत पूरे देश में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती होनी चाहिए। देश में एम्स के साथ ही नए मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की जरूरत है। इनमें अब आधारभूत ढांचा विकसित किए जाने की जरूरत है।
भरत म्हामुलकर, स्वास्थ्यकर्मी 
एक छत के नीचे हों सभी चिकित्सा सुविधाएं  
अस्पतालों में मरीजों को एक छत के नीचे सभी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया होनी चाहिए, ताकि मरीज भटकें नहीं। अस्पतालों के बीच मरीजों की सुविधा के लिए तालमेल बैठाना होगा। मरीजों को सभी सुविधा अस्पतालों में मिलें, ताकि उन्हें एम्स जैसे अस्पतालों में जाने की जरूरत न पड़े।
विनय कुमार सिंह, समाजसेवी 
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट से उम्मीदें
मरीजों को निशुल्क दवाइयां मिलें व अस्पताल में निशुल्क उपचार हो। पीजीआई और एम्स की तर्ज पर मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा सुविधाएं मिलें। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती की जानी चाहिए। बड़े ऑपरेशन करने के लिए महीने में एक बार बाहरी राज्यों से डॉक्टर बुलाया जाना चाहिए। टेलीमेडिसिन चिकित्सा सुविधा को मजबूत करने की जरूरत है। देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में भी रोबोटिक सर्जरी की सुविधा पर जोर दिया जाना चाहिए।
डॉ. कमलाकर जावले, ठाणे

 

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