मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिप्रदूषित नदी में बाप्पा का विसर्जन कैसे मनाएं त्योहार?

प्रदूषित नदी में बाप्पा का विसर्जन कैसे मनाएं त्योहार?

सामना संवाददाता / नई मुंबई
जैसे-जैसे गणेश उत्सव का त्योहार नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे तलोजा कासाड़ी नदी के आस-पास के गांव में रहने वालों की चिंता गणपति विसर्जन को लेकर बढ़ती ही जा रही है। लोगों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि कासाड़ी नदी के प्रदूषित जल में गणेश विसर्जन और उसी में लोग डुबकी कैसे लगाएंगे?
स्थानीय पूर्व नगरसेवक अरविंद म्हात्रे बताते हैं कि नदी की खराब स्थिति के चलते ग्रामीणों को मजबूर होकर अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा को छोड़ना पड़ रहा है। पिछले साल डेढ़ दिवसीय गणपति विसर्जन के दौरान मूर्ति को जल में विसर्जित करते समय भक्तों को त्वचा संक्रमण हो गया था। पिछले साल से इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशानुसार, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) को कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का निर्माण और संचालन करने के अलावा, नदी की सफाई भी करनी थी। नदी का तल विभिन्न प्रकार के रसायन आदि से भरा हुआ है जिससे न केवल जल गंदा हो गया है, बल्कि इससे निकलने वाली दुर्गंध भी असहनीय है। आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट में नदी के जल को एसिडिक बताया गया है, इससे मुद्दे की गंभीरता को समझा जा सकता है।
तलोजा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश शेट्टी का आरोप है कि एमआईडीसी और उसके द्वारा नियुक्त सीईटीपी के ठेकेदार ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं। एसोसिएशन हर महीने १.३० करोड़ रुपए एमआईडीसी को देती है, लेकिन एमआईडीसी के ठेकेदार की लापरवाही का नतीजा यह है कि पिछले ६० महीनों से कासाड़ी नदी के जल की रिपोर्ट संदिग्ध है। ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि वह तलोजा सीईटीपी के एमपीसीबी आउटलेट डिस्चार्ज के मानदंडों को सुनिश्चित करे।

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