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सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की कैसे बचेगी जान? … १९ टीसीयू में मॉड्यूलर ओटी में देरी …फेल हुई जीईएम प्रणाली!

– घाती सरकार की घोर लापरवाही
– अब महा टेंडर से प्रकिया पूरी करने को मिली मंजूरी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में दुर्घटना के शिकार होने वाले लोगों को तत्काल उपचार की सुविधा मुहैया कराने के लिए पिछले साल राज्य के १९ ट्रॉमा केयर यूनिट में मॉड्यूलर ओटी और मॉड्यूलर आईसीयू शुरू करने का पैâसला किया गया था। हालांकि, इस मामले में घाती सरकार की घोर लापरवाही सामने आई है। टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरुआत जीईएम प्रणाली से की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह प्रक्रिया फेल हो गई। यह जानकारी सामने आने के कई महीनों के बाद अब सरकार ने निविदा प्रक्रिया एक बार फिर से महाटेंडर प्रणाली पर शुरू करने की मंजूरी दी है।
सड़क हादसे में घायलों को समय पर इलाज मुहैया कराने के लिए घाती सरकार ने राज्य के १९ ट्रॉमा केयर यूनिट में मॉड्यूलर ओटी और ९५ मॉड्यूलर आईसीयू शुरू करने का फैसला करते हुए १३ अक्टूबर २०२३ को बाकायदा शासनादेश जारी किया था। इसके साथ ही जीईएम प्रणाली पर निविदा प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन टर्की बेसिस के लिए सर्विस टेंडर में वैâटेगरी उपलब्ध न होने और जीईएम पोर्टल पर कस्टम फीड नहीं किए जाने की जानकारी सामने आई। ऐसे में अब यह प्रक्रिया महा टेंडर प्रणाली के तहत शुरू किए जाने का पैâसला किया गया है। हालांकि, अब सवाल यह उठने लगा है कि यह दिक्कत जब शुरू में ही पता चल गई थी तो यह पैâसला लेने में इतनी देरी क्यों की गई?

खर्च होंगे ६३.९५ करोड़
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, १९ मॉड्यूलर ओटी और मॉड्यूलर आईसीयू को तैयार किया जाएगा। इसके लिए ६३.९५ करोड़ रुपए की निधि का प्रावधान किया गया है। एक ओटी को २.३७ करोड़ रुपए में बनाया जाएगा। बताया गया है कि हर ट्रॉमा केयर में एक मॉड्यूलर ओटी और पांच बेड का मॉड्यूलर आईसीयू तैयार किया जाएगा।

इलाज के अभाव में ३४ लोग रोज गवां रहे जान
जानकारी के अनुसार, राज्य में प्रतिदिन लगभग ७८ सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें पर्याप्त इलाज के अभाव में औसतन ३४ लोग रोज अपनी जान गवां रहे हैं। राज्य में इस साल एक जनवरी से ३१ मई की अवधि में हुई ११,८९६ दुर्घटनाओं में ५,२०० से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और ७,००० से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सबसे अधिक ३८२ मौतें पुणे में हुई हैं, जबकि नगर में ३६१ और सोलापुर में ३४७ लोगों की जान गई है।

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