सामना संवाददाता / मुंबई
म्हाडा के मुंबई मंडल की अक्टूबर २०२४ की लॉटरी में पुनर्विकास के तहत उपलब्ध ३७० घरों की कीमतों में १० से २५ प्रतिशत की कटौती का दिखावा किया गया, लेकिन सच्चाई में १४ घरों की कीमतें घटने की बजाय १२ से १३ लाख रुपए बढ़ा दी गर्इं। आवेदकों को राहत देने का दावा करते हुए भी अधिकारियों की भारी चूक ने आवेदकों को और भी मुश्किल में डाल दिया है।
मुंबई मंडल के अधिकारियों की गलती से इन १४ घरों की कीमतें गलत रेडी रेकनर दरों पर तय की गर्इं, जिसके चलते आवेदन प्रक्रिया के अंतिम चरण में कीमतें अचानक बढ़ा दी गर्इं। इससे आवेदकों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है, क्योंकि इन्हें कीमतों में कटौती की उम्मीद थी, लेकिन आवेदन जमा करने के कुछ दिन शेष रहते हुए उन्हें बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ा।
मुंबई मंडल ने ३७० घरों के पुनर्विकास के लिए इनकी कीमतें नियमानुसार उस क्षेत्र के रेडीरेकनर दर के ११० प्रतिशत पर तय कीं। हालांकि, घरों के क्षेत्रफल, आय वर्ग और कीमतों में भिन्नता ने इन्हें महंगा बना दिया। आलोचना का सामना करने के बाद म्हाडा ने कीमतों में १० से २५ प्रतिशत की कमी की घोषणा की थी, लेकिन स्वानंद प्रोजेक्ट के १४ घरों की कीमतें कम होने की बजाय २० प्रतिशत बढ़ गर्इं, जिससे आवेदकों में नाराजगी फैली है।
५८ लाख ६३ हजार रुपए तक की पहुंची कीमतों ने स्पष्ट कर दिया है कि संबंधित अधिकारी ने रेडीरेकनेर दरें गलत तरीके से तय की थीं। पहले अधिकारियों ने गलत दरें ८५ हजार २९४ रुपए प्रतिवर्ग लगाई थी। बाद में सही दर १ लाख २५ हजार १७० रुपए प्रति वर्ग मीटर होनी चाहिए थी, इससे आवेदकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, और म्हाडा की प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसी घटनाएं साफ करती हैं कि म्हाडा के अधिकारियों की लापरवाही का बोझ आम लोगों को उठाना पड़ता है।