अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
बांद्रा में जय शिव सार्इं एसआरए सहकारी हाउसिंग सोसाइटी की रिडेवलपमेंट योजना निजी डेवलपर और हाउसिंग सोसाइटी के पदाधिकारियों की मिलीभगत के कारण २५ वर्षों से अधिक समय से रुकी हुई है। इतना ही नहीं, निवासियों का आरोप है कि डेवलपर द्वारा परियोजना में देरी के कारण नगर निगम की विकास योजना में १८.८० मीटर विकास सड़क का काम भी रोक दिया गया है। इस परियोजना के रुकने की वजह से सौकड़ों परिवार ट्रांजिट वैंâप में रहने पर मजबूर है। नागरिकों का आरोप है कि डेवलपर ने उनके साथ धोखा किया है।
२००६ में मुंबई के कलेक्टर ने जीएम कंस्ट्रक्शन द्वारा बनाए गए अस्थायी ट्रांजिट वैंâप को ३ साल के अंदर तोड़कर वहां प्रस्तावित १८.८० मीटर सड़क बनाकर मुंबई नगर निगम को सौंपने का आदेश दिया था। साथ ही जिलाधिकारी ने भूमि के उपयोग के लिए लोक निर्माण विभाग को ८ लाख ८३ हजार रुपए किराया देना भी अनिवार्य कर दिया था। इस क्षेत्र में ४९ नारियल के पेड़ थे। अनुमति देते समय इन पेड़ों को दोबारा लगाने का भी आदेश दिया गया था। निवासियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इस परियोजना के अंतर्गत ५७७ परिवार आते हैं, जिनमें से २५० लोग आज भी झोपड़ियों में रह रहे हैं। ट्रांजिट वैंâपों को तुरंत ध्वस्त करने के आदेश के बाद १७० परिवारों को इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि १०० परिवारों ने डेवलपर को किराया नहीं चुकाया है।
परियोजना शुरू होने के २५ वर्षों से, ७ रिडेवलप बिल्डिंग में से केवल २ ही तैयार हो पाई हैं। हालांकि, डेवलपर ने नगरपालिका कर का भुगतान नहीं किया है, उन तैयार २ इमारतों में भी नगरपालिका की जलापूर्ति या सीवेज लाइनें नहीं हैं। इन दोनों भवनों का निर्माण निम्न स्तर का है। ट्रांजिट वैंâप निवासी मिश्रा ने आरोप लगाया है कि लॉटरी प्रक्रिया के क्रम के अनुसार घर आवंटन न करके डेवलपर और हाउसिंग एजेंसी के पदाधिकारियों ने निवासियों को धोखा देने की साजिश रची। उन्होंने नए भवन में नागरिकों को घर न देकर आपस में ही एक-दूसरे को बांट लिए।
सात साल हो गए हमें वैकल्पिक जगह का मकान किराया नहीं मिल रहा था। हमें समझ नहीं आता बच्चों की पढ़ाई देखेंगे या घर का किराया देंगे? कोरोना काल में मेरी नौकरी चली गई। आखिरकार हम ऊब गए और इस ट्रांजिट वैंâप में रहने आ गए।
-कामू, निवासी