मंगेशकर परिवार पर साक्षात् सरस्वती का वरदहस्त है। ‘सुर सम्राज्ञी’ लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले ८ सितंबर को अपनी उम्र के ९० वर्ष पूरा करनेवाली हैं। इस खास मौके पर आशा भोसले दुबई के कोकाकोला एरिना में एक शानदार म्यूजिक कॉन्सर्ट पेश करनेवाली हैं। पेश है, तकरीबन ८ दशकों से भारतीय जनमानस को अपनी आवाज से सराबोर करनेवाली आशा भोसले से पूजा सामंत की बातचीत के प्रमुख अंश-
आपके ९०वें जन्मदिन का जलसा मुंबई की बजाय दुबई में क्यों हो रहा है?
मेरे बेटे आनंद जिसे हम नंदू कहते हैं, ने मेरे साथ दुनियाभर में म्यूजिकल कॉन्सर्ट्स सफलतापूर्वक किए हैं। दुबई निवासी सलमान अहमद के साथ भी हम कॉन्सर्ट कर चुके हैं। उनके अनुसार, मेरे जीवन का ९० वर्ष एक माइलस्टोन है और दुनियाभर के संगीत प्रेमियों को मैं अपने जन्मदिन का तोहफा मेरे गाये गीतों के अलावा और क्या दे सकती हूं। जहां तक शो को दुबई में करने का सवाल है तो यह कॉन्सर्ट ब्रॉडवे शो की तरह संपन्न होगा। ब्रॉडवे का कॉन्सेप्ट अभी तक मुंबई में उतना उभरा नहीं। मुंबई में हर २-३ सालों में एक बार मेरा कॉन्सर्ट होता है, कभी ‘दीनानाथ मंगेशकर हॉल’ तो कभी ‘षण्मुखानंद हॉल’ में। आपने मेरे मुंबई कॉन्सर्ट को शायद नोटिस नहीं किया होगा।
आपके इस कॉन्सर्ट की क्या विशेषता होगी?
अपने प्ले बैक गीतों पर मैं परफॉर्म करूंगी। नितिन शंकर इस शो के संगीत अरेंजर हैं। सुदेश भोसले और मेरी पोती जनाई भी परफॉर्म करेंगे। इस शो का प्रेजेंटेशन इंटरनेशनल स्तर का होगा। ३ घंटे के इस रंगारंग शो के जरिए मेरे जीवन की दास्तां पेश होगी। मेरे साथ मेरा पूरा ग्रुप इस शो के लिए बेहद मेहनत कर रहा है और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह शो बेहद कामयाब होगा।
आप तमाम मुश्किलों से गुजरी हैं। आपने संघर्षों का सामना वैâसे किया?
मेरा नाम ही आशा है इसलिए मैं अपनी हर विपदाओं, दुखों को अतीत मानते हुए आगे बढ़ती गई। मैंने दुखों और सुखों को गले से नहीं लगाया। सोचा जीवन है तो संघर्ष अटल है। मैं गायिका हूं और गीत गाना मेरा पेशा है, लेकिन ऐसे कई लोग हैं दुनिया में जिन पर दुखों के पहाड़ टूटते हैं लेकिन ‘दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा’ यह दीदी, मीना और उषा का गाया गीत हम सभी को जीवन जीने की प्रेरणा देता है। एक फलसफा है जिंदगी जीने का और मैंने वही अपनाया।
९० वर्षों की जिंदगी में आपने क्या बदलाव देखे?
९० वर्षों के जीवन में पहले १० वर्षों को छोड़ दीजिए। १० साल की उम्र में मैंने गाना शुरू किया। शमशाद बेगम, गीता दत्त, नूरजहां जैसी गायिकाओं का दबदबा था। ओ.पी. नैयर, सज्जाद हुसैन जैसे संगीतकारों ने मुझे मौका दिया। फिल्म ‘बूटपॉलिश’ के ‘नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है’ गीत से मेरी पहचान बनती गई। मैं बदलाव की बात क्या करूं? मैं फिल्म इंडस्ट्री की आखिरी मुगल हूं! आज जो भी गीतकार, गायक, फिल्म कलाकार आप देख रहे हैं उन्होंने मेरे सामने जन्म लिया, मेरे सामने बढ़ते गए। पूरे बॉलीवुड का इतिहास मैं जानती हूं, हर एक व्यक्ति का इतिहास जानती हूं, मेरी उम्र ९० हो चुकी है लेकिन मैं कुछ भी भूली नहीं हूं। जो अच्छा लगा मैंने दिल से प्रशंसा की। जो बुरा लगा उसके बारे में राय बना ली कि मेरे अच्छे या बुरे लगने से क्या होगा? कालाय तस्मै नम:! दुनिया बदल रही है और नए युग की नई पीढ़ी अपने साथ नई सोच लाएगी, जिसमें गीत-संगीत में भी कई तरह के बदलाव का होना स्वाभाविक है।
आपकी ऊर्जा का राज क्या है?
उम्र तो बस एक नंबर है, दिल में अपने काम के प्रति पैशन हो तो इंसान १६-१८ घंटे अपने पसंदीदा काम के लिए दे सकता है। मेरी पोती जनाई मुझे प्यार से कहती है, ‘दादी तुम तो हर दिन जवान होती जा रही हो!’ खैर, मेरे पैंâस, मेरा परिवार, मेरे सभी करीबी गायक, वादक, संगीतकार इनके प्यार, अपनेपन से मुझे प्रेरणा मिलती है, ऊर्जा मिलती है। मेरी उम्र ९० नहीं, बल्कि ९ वर्ष की उम्र वाली ऊर्जा मुझमें है, ऐसा मेरा विश्वास है। मुझ पर कई जिम्मेदारियां थीं, जिसे मैंने निभाया। मैं ३ बच्चों की मां और सिंगल मदर थी लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। हार मानना मेरे खून में नहीं है। मुझे आज तक कभी नहीं लगा कि मैंने कुछ ग्रेट काम या कुछ अलग किया है।
आपके कुकिंग स्किल्स की अक्सर तारीफ होती है। कितना अच्छा लगता है आपको खाना बनाना?
एक दौर था जब मैं ३ बच्चों का पेट पालने के लिए प्ले बैक का काम करती थी। बच्चों के टिफिन, उनके लिए खाना बनाना, उन्हें स्कूल छोड़ना, स्कूल से लाना, उनके लिए रात का खाना बनाना यह सब कुछ करना मेरे लिए अनिवार्य था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि खाना बनाना मेरी एक थियरी है, उदासी भरी जिंदगी से उबरने के लिए। धीरे-धीरे खाना बनाना मेरी आदत बन गया और आज यह मेरा पैशन बन चुका है। कुकिंग मुझे खुशी देता है। आनंद ने ‘आशाज’ नाम से रेस्टोरेंट चेन की शुरुआत की, जो बेहद सफल हुआ। अपने जीवन और करियर में मैं खुश हूं।