पनी पहली ही फिल्म ‘घायल’ से राष्ट्रीय पुरस्कार जीतनेवाले निर्देशक राजकुमार संतोषी ‘घातक’, ‘दामिनी’, ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’, ‘खाकी’, ‘चायना गेट’ जैसी कई सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। तीन राष्ट्रीय और छह फिल्मफेयर पुरस्कार जीतनेवाले राजकुमार संतोषी इन दिनों फिल्म ‘गांधी-गोडसे एक युद्ध’ को लेकर सुर्खियों में हैं। पेश है, राजकुमार संतोषी से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
• रियलिस्टिक फिल्मों के इस दौर में पीरियड फिल्म बनाने की क्या वजह रही?
अगर आप अच्छे रीडर हैं तो आप जानते हैं कि इतिहास क्या है। आम लोगों को किसी घटना या व्यक्ति के बारे में सही जानकारी नहीं होती। कितने लोग जानते हैं कि सिर्फ २३ वर्ष की उम्र में भगत सिंह ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। आज गांधी जी को गाली देना एक पैâशन बन गया है। मैं कहता हूं कि उनके नाखून के हिस्से जितना भी काम मैंने देश के लिए नहीं किया। गांधी जी के कुछ जजमेंट गलत हुए हों लेकिन पूरी जिंदगी देश को समर्पित कर चुके गांधी जी पर उंगली उठाना सरासर गलत है। गांधी जी और उनकी सोच को समझना आवश्यक है। गोडसे और गांधी के विचारों में क्या असमानता थी, यह एक पेचीदा मुद्दा है। इस फिल्म को बनाने का मेरा मकसद गलत नहीं है। मैंने दोनों के विचार सामने रखे हैं। मैंने हर जॉनर की फिल्में इससे पहले ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी से बनाई हैं।
• आज के दौर की फिल्में आपको कैसी लगती हैं?
इस दौर के नई पीढ़ी के कई फिल्ममेकर संजीदा फिल्में बना रहे हैं लेकिन कई फिल्मों में खुलेआम दिखाया जाता है कि हीरो के एक हाथ में नहीं, दोनों हाथों में स्टेनगन होती है और वे पब्लिक प्लेस में अपनी स्टेनगन चलाते हैं। एक साथ लोग कीड़े-मकोड़ों की तरह मरते हैं। यह एक्शन सीन है क्या? ऐसे दृश्यों से हम समाज के सामने क्या रखेंगे? यह मूर्खतापूर्ण हिंसा नहीं है क्या? ऐसी नृशंस हत्याओं को नए सिनेमा ने बहुत ‘कूल’ बना दिया है। मेरी फिल्म में आप नंगा नाच नहीं देखेंगे। मेरी फिल्म के किरदार अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए गालियां नहीं देते। आजकल स्टार्स गुटखा खाते वक्त उसका प्रमोशन करते हैं। आप समाज को क्या दे रहे हैं? समाज आपको फॉलो कर रहा है, यह तक स्टार्स भूल जाते हैं। पैसों के लिए मैंने कभी ऐसे पैंतरे नहीं अपनाए।
• फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास करवाने के लिए आपको कितनी मशक्कत करनी पड़ी?
सच कहूं तो मैं तनाव में था कि फिल्म को सेंसर द्वारा पास कराने में मुश्किल आ सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पहली बार ९ लोगों ने फिल्म देखी। मैं बाहर बैठा था। मुझे बुलाया गया और कहा गया कि राज जी, ऐसी फिल्म इससे पहले कभी नहीं बनी। मेरे लिए सेंसर बोर्ड से मिला ये बड़ा कॉम्प्लिमेंट था। अगली सीढ़ी (रिवीजन) पर १८ लोगों ने फिल्म देखी। इन १८ लोगों के सदस्यों में काफी महिलाएं थीं। उन सभी की आंखें फिल्म देखकर नम हो गर्इं। उन सभी ने फिल्म को ‘यू’ सर्टिफिकेट दिया। उनके अनुसार, इस फिल्म को स्कूल और कॉलेजों में भी दिखाया जाना चाहिए। मुझे पूरी उम्मीद है कि लोगों को यह फिल्म अच्छी लगेगी।
• बेटी तनीषा को लॉन्च करने की क्या वजह रही?
फिल्म दो भिन्न व्यक्तियों के विचारों का युद्ध है लेकिन मेन कहानी के साथ एक छोटी-सी लव स्टोरी भी साथ में चलती है। इस स्टोरी के लिए मैंने तनीषा और उसके अपोजिट अनुज सैनी को लिया। लेकिन मैंने तनीषा से ये भी कहा कि अगर वो परफॉर्मेंस में उन्नीस नजर आई तो उसे यह मौका नहीं मिलेगा।
• क्या सनी देओल से आपकी सुलह हो गई है?
मुझे बनानेवाले सनी देओल और धर्मेंद्र जी हैं। मुझ पर उनका बड़ा एहसान है, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। सनी के साथ जो मतभेद हुए थे, वो कब के खत्म हो गए। २०२३ में उनके साथ मेरी फिल्म शुरू हो रही है।
• अपनी सफल फिल्मों का सीक्वल न बनाने की क्या वजह रही?
सीक्वल पर नहीं, ओरिजिनलिटी पर मेरा विश्वास है। अपने देश में प्रेरणादायी विषयों, कहानियों और इतिहास की कमी नहीं है। खुद की फिल्मों का सीक्वल बनाना मुझे पसंद नहीं।