डॉक्टर भी हुए शिकार स्वास्थ्य विभाग चिंतित
सामना संवाददाता / ठाणे
मुंबई, दिल्ली के बाद अब ठाणे में भी आई-फ्लू का प्रकोप बढ़ रहा है। ठाणे मनपा क्षेत्र में पिछले तीन दिनों में आई-फ्लू के ५९ मरीज मिले हैं। इसी तरह कलवा अस्पताल में आई-फ्लू के मरीज हर दिन आने लगे हैं। ऐसे में इलाज करनेवाले डॉक्टर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। ठाणे मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, आई-फ्लू को लेकर विभाग सतर्क है और दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। विभाग ने नागरिकों से आंखों का ख्याल रखने की अपील की है।
बता दें कि मानसून के साथ ही जगह-जगह मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ठाणे में भी मानसूनी बीमारियों के अलावा आई-फ्लू के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। ठाणे मनपा के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में मनपा के ३३ स्वास्थ्य केंद्रों पर ३३ मरीज आए हैं। इसी तरह कलवा अस्पताल में तीन दिनों में २६ लोग आए हैं। इस प्रकार पिछले तीन दिनों में आई-फ्लू से संक्रमित कुल ५९ लोग मिले हैं। आई-फ्लू इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि ठाणेकर और कलवावासी ही इसकी चपेट में नहीं आए, बल्कि अस्पताल में इन मरीजों का इलाज करनेवाले डॉक्टर भी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की है।
स्वास्थ्य केंद्रों पर मिलेगा आई ड्रॉप
मनपा स्वास्थ्य विभाग ने कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं जैसे कि जिन्हें यह इंफेक्शन हुआ है, वे दूसरों से हाथ न मिलाएं। संक्रमित व्यक्ति से छह फीट की दूरी बनाए रखें, जिससे अन्य व्यक्ति को इसका संक्रमण न हो। मनपा प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मनपा के स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति आई ड्रॉप लेने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।
डॉक्टर की सलाह
डॉक्टर राजेंद्र चौहान के अनुसार, आई फ्लू से बचने का सबसे कारगर तरीका है अपने हाथों और अपने आस-पास की सफाई रखें। आई फ्लू का इंफेक्शन हाथों के जरिए ज्यादा पैâलता है। इसलिए हाथों को बार-बार धोएं। आई फ्लू से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। डॉ. चौहान के अनुसार, आई फ्लू का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस तरह का आई फ्लू है। अगर वायरल आई फ्लू है तो वो सेल्फ लिमिटिंग टाइप का होगा, जो समय के साथ ठीक हो जाता है। लेकिन उसमें भी पेन रिलीवर और जरूरी दवाएं दी जाती हैं। बैक्टीरियल और एलर्जिक आई फ्लू की जांच के बाद उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। इसके साथ ही आंखों में ठंडी सिकाई भी की जा सकती है।
वायरल कंजक्टिवाइटिस एक वायरस
आई-फ्लू वायरल कंजक्टिवाइटिस वायरस का एक प्रकार है। यह वायरस संक्रामक होता है और किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या वायरस से दूषित सतहों को छूने से पैâलता है। यह व्यक्ति की आंखों के सफेद हिस्से और पलकों के अंदर को ढकनेवाली एक पतली और पारदर्शी परत को प्रभावित करता है। आई फ्लू को काफी संक्रामक माना जाता है और यह तेजी से पैâलता है। खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों और बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है।
ये हैं आई फ्लू के लक्षण
आई फ्लू अलग-अलग प्रकार के होते हैं। आई फ्लू बैक्टीरियल भी होता है। इसके अलावा आई फ्लू वायरस से भी होता है। किसी-किसी को इस मौसम में एलर्जी के चलते भी आई फ्लू हो जाता है। इसके लक्षणों में आंखों का लाल होना, पानी निकलना, खुजली होना आदि शामिल हैं। वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है और यह आमतौर पर १ से ३ हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है।