करीना कपूर की डेब्यू फिल्म ‘रिफ्यूजी’ को रिलीज हुए लगभग २३ वर्ष हो चुके हैं। ‘अंग्रेजी मीडियम’, ‘गुड न्यूज’, ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी फिल्मों में काम करनेवाली करीना कपूर विवाह और दो बच्चों की मां बनने के बावजूद हमेशा रिलेवेंट रहीं। इस वक्त नेटफ्लिक्स पर सुजॉय घोष निर्देशित उनकी थ्रिलर फिल्म ‘जाने-जान’ २१ सितंबर को रिलीज होगी। पेश है, करीना कपूर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
• सुना है आप काफी समय से ओटीटी पर आना चाहती थीं?
मैं ओटीटी के लिए काम करना चाहती थी क्योंकि ओटीटी पर जो कहानियां आ रही हैं वो रियल और इंट्रेस्टिंग हैं। एक कलाकार होने के नाते मैं ऐसी चैलेंजिंग कहानियां और किरदारों का हिस्सा तभी से बनना चाहती थी, जब ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत हुई। दूसरी बात निर्देशक सुजॉय घोष के साथ मैं तकरीबन पिछले १० वर्षों से काम करना चाहती थी लेकिन जब संजोग होता है, तभी बात आगे बढ़ती है।
• सिंगल मदर का किरदार आपके लिए आसान था या मुश्किल?
माया डिसूजा एक सिंगल मदर है और इस सिंगल मदर की जिंदगी में एक तूफान उठता है। लोगों की निगाह में माया एक कातिल है। ये रहस्य है कि क्या वो वाकई कातिल है? यह कहानी कई रहस्यों की गुत्थियों की परतें है। फिल्म ‘रा-वन’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ में भी मैंने मां का रोल निभाया था। मां का किरदार निभाने में कभी आनाकानी नहीं की। मेरे लिए किरदार का सशक्त होना आवश्यक है।
• क्या आपने मूल किताब ‘द डिवोशन ऑफ सस्पेक्ट’ पढ़ी?
फिल्म ‘जाने जाना’ जापनीज नोवल ‘द डिवोशन ऑफ सस्पेक्ट’ को नहीं पढ़ा। सुजॉय एक काबिल निर्देशक हैं और थ्रिलर जॉनर के मास्टर। जो भी क्रिएटिव बदलाव करने थे उन्होंने अपने दृष्टिकोण से किए। मेरे किरदार का जो ग्राफ उन्होंने बताया उसके अनुसार मैंने किया। मैं अपने किरदार से भटकना नहीं चाहती थी इसलिए मैंने किताब को नहीं पढ़ा। अपना फोकस मैंने अपने किरदार माया डिसूजा पर रखा।
• नई जनरेशन के साथ प्रोजेक्ट करना कितना अलग है?
स्क्रिप्ट जब मेरे पास आई तब सैफ ने मुझे आगाह करते हुए कहा, ‘जयदीप और विजय वर्मा को अंडर एस्टीमेट मत करना। दोनों बहुत ही कमाल के एक्टर्स हैं। दोनों कई किरदारों खासकर ओटीटी पर अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुके हैं। पूरी तैयारी के साथ परफॉर्म करना। सैफ ने कितनी सटीक बात कही। सैफ वर्ल्ड सिनेमा के साथ ओटीटी पर कई अच्छे शोज देखते हैं और उम्दा परफॉर्म करनेवालों के बारे में वे मुझे अपडेट करते हैं। इसलिए मैं जानती थी कि यह दोनों गजब के एक्टर्स हैं।
• नई जनरेशन के साथ परफॉर्म करते वक्त कैसा महसूस होता है?
हां, इन एक्टरों से मैं सीनियर हूं। फिल्म इंडस्ट्री में मुझे २२ वर्ष पूरे हो चुके और यह २३वां वर्ष है। मुझसे भी सीनियर एक्टर हैं लेकिन सेट पर परफॉर्म करते वक्त कोई जूनियर-सीनियर नहीं होता। हर एक्टर को अपना परफॉर्मेंस पूरी जिम्मेदारी के साथ देना होता है। सीनियर कलाकारों ने मुझसे कभी अपनी सीनियरिटी नहीं जताई, नहीं तो मुझमें यह एटिट्यूड भला कहां से आएगा? सीनियर होने के बावजूद मैंने फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ के लिए ऑडिशन दिया था।
• पिछले २२ वर्षों में आप इंडस्ट्री में किन बदलावों को देखती हैं?
छोटे-मोटे बदलाव तो काफी हैं लेकिन खुद को मैंने रिलेवेंट रखा। हर बदलाव के साथ मैंने एडजस्ट करना सीखा। मैंने व्यक्तिगत और करियर का हर लम्हा एन्जॉय किया। अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को हमेशा बैलेंस्ड रखा। ओटीटी का प्रचलन सुखद बदलाव है।
• बॉक्स ऑफिस सक्सेस कितना मायने रखता है?
बॉक्स ऑफिस सक्सेस सभी के लिए निहायत जरूरी होता है। हर निर्माता-निर्देशक-कलाकार का अगला प्रोजेक्ट उनकी पिछली फिल्म की सक्सेस पर निर्भर करता है। बॉक्स ऑफिस सक्सेस मेरे लिए भी महत्वपूर्ण है। ‘लाल सिंह चड्ढा’ को बॉक्स ऑफिस पर उतनी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इस फिल्म का शुमार ‘क्लासिक-कल्ट’ फिल्म में होकर रहेगा। मैं भी अपनी पहचान एक ग्लोबल अभिनेत्री के रूप में कायम करना चाहती हूं।