एशियन चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मेजबान चीन को १-० से हराकर जहां भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया, वहीं भारत के लिए ५१वें मिनट में गोल करनेवाले जुगराज सिंह को घर की आर्थिक स्थिति के चलते पानी की बोतलें तक बेचनी पड़ी। पंजाब के अटारी में जन्मे जुगराज ने भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलने का सपना देखा। बिना किसी कोचिंग के भारतीय टीम के लिए उन्होंने खेला और एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने अपने गोल के दम पर भारत को खिताब जिताने में मदद की। शमशेर सिंह और छत्र सिंह को अपना आदर्श माननेवाले जुगराज सिंह का २०११ में पीएनबी के लिए चयन हुआ, जहां उन्हें ३,५०० रुपए वजीफा मिला। इसके बाद वह साल २०१६ में भारतीय नौसेना में शामिल हुए, जहां उन्हें ३५ हजार रुपए मिलते थे। इस नौकरी के बाद जुगराज सिंह के घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ। पेरिस ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक जीतने में मदद करनेवाले जुगराज आज भारतीय हॉकी टीम के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक हैं।