‘मिस एशिया पैसिफिक’ के रूप में दुनिया भर में छा जानेवाली अभिनेत्री दीया मिर्जा ने मॉडलिंग से अपना करियर शुरू किया था। कोरोना जैसी महामारी के आफ्टर इफेक्ट पर आधारित उनकी फिल्म ‘भीड़’ दर्शकों के एक खास वर्ग द्वारा पसंद की जा रही है। पेश है, दीया मिर्जा से
पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
• फिल्म ‘भीड़’ में मां का किरदार स्वीकारने की क्या वजह रही?
मैं ऐसा नहीं मानती और न ही सोचती हूं कि मैंने ‘भीड़’ में मां का किरदार क्यों स्वीकारा? मेरी सोच है कि मैंने अभी-अभी अपने जीवन के ४० वर्ष पूरे किए हैं। अब इस उम्र में मैं कॉलेज गोइंग युवती का किरदार तो नहीं स्वीकार करूंगी न। अब ४० वर्ष की महिला अपने प्रेमी के साथ गार्डन में ठुमके तो नहीं लगाएगी? मेरी उम्र को जंचे ऐसे किरदार की मुझे तलाश थी। जब मुझे ये फिल्म ऑफर हुई तो मेरे लिए यह बड़ा मौका था, जिसे मैंने खुशी से स्वीकार कर लिया।
• आपके लिए फिल्म ‘भीड़’ का अनुभव कैसा रहा?
‘भीड़’ इसलिए अलग है क्योंकि यह हम सभी का भूतकाल है। हमारी यातनाएं, वेदनाएं, दुख-दर्द, परेशानियां, क्रोध सबका चित्रण है इस फिल्म में। ‘भीड़’ से मतलब है कि कुदरत ने कोरोना की चपेट में अमीर-गरीब सभी को अपने जाल में ले लिया। सभी ने बुरी तरह से इस त्रासदी को झेला। आनेवाली पीढ़ी को इस फिल्म से बहुत सीख मिलेगी। ‘भीड़’ के बाद मुझे महसूस हुआ कि मुझमें बहुत परिवर्तन हुए हैं।
• ५० पार कर चुके हीरो अपने से आधी उम्र की हीरोइनों से रोमांस करते हैं तो क्यों ४० की हीरोइन खुद को रोमांस के लायक नहीं समझती? क्या यह ज्यादती नहीं?
यह ट्रेंड चल तो रहा है। आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन सभी ५० पार कर चुके हैं। अगर ५५ से ५८ वर्ष के खान हीरोज २५-३० की हीरोइनों से पर्दे पर रोमांस करते रहेंगे तो ४५ या ५० उम्र की अभिनेत्रियों को काम वैâसे मिलेगा? वो तो घर बैठने को मजबूर होंगी। तब्बू की तरह हर अभिनेत्री को पुलिस वाली का सशक्त किरदार नहीं मिल सकता।
• क्या यह ट्रेंड सिर्फ बॉलीवुड में है या दुनिया भर में?
मर्द एक्टर बुढ़ापे तक हीरो बनकर स्क्रीन पर फाइटिंग के साथ रोमांस भी करते रहेंगे। यकीनन ऐसा हॉलीवुड में भी होगा। लेकिन वहां की सीनियर अभिनेत्रियां खुद के लिए फिल्म निर्माण करती हैं और खुद को मध्यवर्ती किरदार में रखती हैं। अपने देश में बहुत कम ऐसा होता है। श्रीदेवी ने फिल्म ‘मॉम’ में एक तेज-तर्रार सशक्त मां का किरदार निभाया था। उस वक्त उन्होंने अपनी उम्र के ५० पायदान पूरे कर लिए थे।
• सुना है आपने किसी जमाने में मशहूर फिल्म मेकर राजकुमार हिरानी से उनकी फिल्म में काम मांगा था?
हां, यह सच है। मैंने उन्हें किसी इवेंट पर मिलने के बाद उनकी फिल्म में काम करने की इच्छा प्रकट की थी। शायद वे उन दिनों फिल्म ‘मुन्नाभाई…’ में व्यस्त थे। उस फिल्म में मेरे लिए करने जैसा कोई किरदार नहीं था। लेकिन उनका यह बड़प्पन है कि जब उन्होंने फिल्म ‘संजू’ बनाई तो मान्यता दत्त का रोल मुझे ऑफर किया। फिल्म ‘संजू’ को रिलीज हुए ५ साल हो गए लेकिन दर्शकों ने मेरे किरदार को पसंद करने के साथ ही याद रखा।
• आप अपने फिल्मी सफर से कितनी संतुष्ट हैं?
कुछ हद तक मैं खुश हूं और कुछ हद नहीं भी। यह सफर खट्टा और मीठा रहा। मैंने जब बॉलीवुड में फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ के जरिए डेब्यू किया था तब मैं २० की थी और अब ४० पार कर चुकी हूं। मैं फिल्मी परिवार से नहीं हूं और अभिनय से मेरा कोई वास्ता नहीं था। ‘मिस एशिया पैसिफिक’ की उपाधि से जीवन बदला और करियर एक अलग दिशा में बढ़ा, जिसकी कल्पना मैंने नहीं की थी। मैंने खुद को निराशा से दूर रखा। हर निराशा पर आशा कायम रही।