अगर हो सके तो,
लिखो तो, रूह में जान आ जाए,
किसी की तन्हाई की टूटन
तेरे शब्दों से मिट जाए।
बोलो तो फूल झरे तेरी वाणी से
उदासी की पतझड़ का
आखिरी पत्ता भी गिर जाए।
सोचो तो नवीन रास्ते खुल जाएं,
नई जागृति का सैलाब आ जाए।
चलो तो होंसले बुलंद हों,
एक बड़ा कारवां आपके
साथ या पीछे आ जाए।
सुनो तो केवल मंदिर,गिरजे की घंटियां नहीं,
भूखे पेटों से निकली आवाज़ भी सुनो।
छुओ तो ऐसे कि
किसी का दर्द अपना लो,
उसकी चोटिल आत्मा पर
मरहम सा लग जाए।
खाओ तो खाने के लिए
अपने गम ही बहुत हैं
किसी और के बदले की
बद्दुआएं पचा पाओ।
पिओ तो खून के घूंट भी
पीने पड़ सकते हैं,
किसी के टूटते रिश्ते को बचा कर
उसके दर्द को पी जाओ।
ओढ़ो तो सम्मान की चादर ओढ़ो,
किसी बहन बेटी की लुटी
इज्जत को ढक दो।
बुनो तो एसा रिश्ता जिसके
ताने-बाने में केवल
मिठास ही मिठास हो।
-बेला विरदी।