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सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का! … ‘मिंधे’ राज में सरकारी बाबू हुए बेखौफ

•  नियमों को ताक पर रख, कर रहे काम
सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे में इस समय ‘सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ‘मिंधे’ राज में ठाणे के सरकारी बाबू इस कदर बेखौफ हो गए हैं कि वे नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। ठाणे के नागरिक परिवहन सेवा के अधिकारी और कर्मी से सबसे अधिक परेशान हैं। इसी तरह के एक मामले में परिवहन अधिकारियों की अनियमितता को उजागर करने के लिए समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी देने से आना-कानी की जा रही है। साथ ही इसकी शिकायत करने पर उनकी सूचना को गेट पर कार्यरत सुरक्षारक्षक अधिकारियों और बाबुओं तक पहुंचा रहे हैं। उनका मनमानी कामकाज इस कदर चरम पर पहुंच गया है कि अधिकारियों से मिलने की कोशिश करने पर उन्हें फटकार कर भगा दिया जाता है। ऐसे में आम जनता का आरोप है कि इस अंधेर नगरी में आखिरकार न्याय के लिए वे किसके पास जाएं?
महाराष्ट्र में जब से मिंधे सरकार का राज आया है, अधिकारी और कर्मचारी बेलगाम हो गए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ठाणे से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में उनकी छत्रछाया में काम कर रहे अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह से बेखौफ हो गए हैं और बिना किसी भय के नियमों को ताक पर रखते हुए काम कर रहे हैं। कोपरी गांव निवासी दीपक तावडे ने कहा कि ठाणे मनपा परिवहन के वागले डिपो में कार्यरत परिवहन निरीक्षक दिलीप कानडे और लक्ष्मीकांत धुमाल को अवांछित काम करने के आरोप में करीब १४ साल पहले तत्कालीन परिवहन व्यवस्थापक ने निलंबित कर दिया था। हालांकि, इस बीच इन्होंने अपने रुतबे का इस्तेमाल करके वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव डलवाकर निलंबन आदेश को रद्द कराया और निलंबन के दौरान का वेतन भी रिलीज कराया। उन्होंने कहा कि इसमें पूरी तरह से मुंबई महापालिका अधिनियम का उल्लंघन हुआ है। इस बारे में मैंने सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, जिसे देने में परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लीपा-पोती कर रहे हैं।
निलंबन के दौरान मंजूर नहीं हो सकता है अवकाश
निलंबन की कालावधि में किसी का भी अवकाश मंजूर नहीं किया जा सकता है। हालांकि, समाजसेवी दीपक तावडे ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन अधिकारियों पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई की गई थी। इस बीच उन्हें निलंबन का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद इनके अवकाश को मंजूर किया गया।
आरटीआई मांगने पर मिलती है फटकार
दीपक तावडे ने कहा कि दोनों अधिकारियों को निलंबन के दौरान वेतन का भुगतान क्यों किया गया? इसे लेकर आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई है, जिससे वे बौखला गए हैं। आरटीआई की जानकारी सुरक्षारक्षक के केबिन में ही दी जाती है। दोनों अधिकारियों के इशारे पर मुझे डिपो के संबंधित अधिकारियों से मिलने से रोका जा रहा है। इतना ही नहीं, कोशिश करने पर गेट पर कार्यरत सुरक्षारक्षक फटकार लगाकर वहां से भगा देते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दोनों पर ठाणे के विशेष व्यक्ति का हाथ है।

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