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अगर इश्क है सुकून

अगर इश्क है सुकून
तो रात क्यूँ है जून…

जेहन का हिस्सा बना हुआ हूँ
जितना सोचूँ कम लगता है
दर्द पहला मिठास है
सुकून क्या है इसमें
होठों पे प्यास है

अब तो सो भी ना सकूँ
किसी को लफ्जों से कह भी ना सकूँ
क्या है मेरे दिल में इतनी जलन
हल्का हल्का सा
पहला पहला सा

क्या है इश्क, अचानक मोड़ पर ठहर गया
दिल खाली था कभी आँसुओ से भर गया
दोस्त कैसा है वो, जो इतना दे गया
दोस्ती रह गई,पर उसका यार मर गया

अपना कहने वाला
हर दर्द बांटने वाला
दे गया वो क्या सिला
जो मुझे सिर्फ दर्द मिला
अगर इश्क है सुकून
तो रात क्यूँ है जून…

मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश

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