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मोदी हैं तो मुमकिन है … देश की आधी आबादी अच्छा खाना नहीं खा पाती! … महंगाई डायन ने डाला पौष्टिक आहार पर डाका

– ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड २०२४’ की रिपोर्ट में खुलासा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
तेजी से बढ़ती महंगाई डायन ने पोषण से भरपूर आहार को लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है। खाद्य कीमतों में वृद्धि ने पौष्टिक आहार की कीमतों को बढ़ा दिया। हालात यह हैं कि भुखमरी का सामना करने को हर ११वां इंसान मजबूर है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में २८० करोड़ रुपए की जेब पर पोषणयुक्त आहार भारी पड़ रहा है। यह बात हिंदुस्थान पर भी लागू होती है। भारत में तो मोदी सरकार ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आज देश की आधी से ज्यादा आबादी अच्छा व पौष्टिक खाना नहीं खा पाती है। उसके पौष्टिक आहार पर डाका डाला गया है।
संयुक्त राष्ट्र की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड २०२४’ रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में ३५.४ फीसदी आबादी यानी २८२.६ करोड़ लोग पोषणयुक्त आहार का बोझ उठा पाने में असमर्थ हैं। रिपोर्ट में भारत को लेकर चौंकानेवाले आंकड़े साझा किए गए हैं। देश की कुल आबादी के ५५.६ फीसदी लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठा पाने में असमर्थ है। भारत की स्थिति दक्षिण एशिया के औसत से कहीं ज्यादा खराब रही, जहां पोषणयुक्त आहार ५३.१ फीसदी लोगों की पहुंच से बाहर था, वहीं पाकिस्तान में यह आंकड़ा ५८.७ फीसदी रिकॉर्ड किया गया था।
इस बारे में एफएओ के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो ने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान समृद्ध देशों में उन लोगों की आबादी घट गई, जो महामारी से पहले स्वस्थ आहार का खर्च उठा पाने में असमर्थ थे, जबकि दूसरी तरफ कमजोर देशों में २०१७ के बाद से स्वस्थ आहार का खर्च न उठा पाने को मजबूर आबादी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

पोषण की पहुंच से दूर ५५.६ फीसदी भारतीय
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में एक तिहाई से भी ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो अपने परिवार के लिए सेहतमंद थाली का खर्च नहीं उठा सकते। मतलब कि यह वे लोग हैं, जो यदि अपने पेट भरने का इंतजाम कर भी लें तो उनके भोजन में उतना पोषण नहीं होगा, जो उन्हें और उनके परिवार को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। देखा जाए तो कहीं न कहीं तेजी से बढ़ती महंगाई पोषण से भरपूर आहार को लोगों की पहुंच से दूर कर रही है। यह बात भारत पर भी लागू होती है।

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