सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा द्वारा गणेश उत्सव को देखते हुए पीओपी की बजाय इको-फ्रेंडली मूर्ति बनाने का निर्देश दिया गया है, साथ ही यह भी कहा है कि पीओपी पर प्रतिबंध लगाया गया है अगर कोई इससे बनी मूर्ति बेचते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मनपा मुख्यालय के स्थायी समिति सभागृह में अधिकारियों के साथ मूर्ति बेचनेवाले और बनानेवालों की एक बैठक हुई, जहां यह निर्देश दिए गए। बैठक में बताया गया कि प्रदूषण पैâलानेवाली मूर्तियों पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा १२ मई २०२० को मूर्तियों के विसर्जन पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए थे। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद सस्ती दरों पर मिलने के कारण शहर में खुले आम मूर्तियां बेची जाती हैं। पीओपी मूर्तियों के विसर्जन से जल प्रदूषण बढ़ता है, पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। अधिकारियों ने इस संदर्भ में शहर के मूर्ति निर्माताओं और विक्रेताओं से सहयोग करने का अनुरोध किया है। इस बैठक में उपस्थित सभी मूर्तिकार व मूर्ति विक्रेताओं को शाड़ू मिट्टी की बनी मूर्तियां बनाने का निर्देश दिए गए हैं। उक्त बैठक में मूर्ति निर्माता व विक्रेताओं के साथ-साथ सहायक आयुक्त गणेश शिम्पी, मनीष हिवरे, दत्तात्रय जाधव, जनसंपर्क अधिकारी छाया डांगले, पर्यावरण विभाग प्रमुख विशाखा सावंत तथा उल्हासनगर मनपा के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।