सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति में इन दिनों टकराव का माहौल है। पालक मंत्री पद को लेकर कई नेताओं में कड़ी नाराजगी है और यह नाराजगी का असर भी दिखने लगा है। नासिक में पालक मंत्री पद दादा भूसे को नहीं दिए जाने से शिंदे गुट खासा नाराज है। शिंदे गुट ने नासिक का पालक मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा को बड़ा झटका दिया है। मालेगांव में बाजार समिति को अब भाजपा के हाथ से छीन कर शिंदे गुट ने अपने हाथ में ले लिया है। मालेगांव कृषि उत्पादन बाजार समिति में भाजपा के अद्वय हिरे की सत्ता समाप्त हो गई है। शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्री दादा भुसे ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया।
विधानसभा चुनाव २०२४ में मालेगांव विधानसभा सीट पर दादा भुसे ने अद्वय हिरे को डेढ़ लाख से अधिक मतों से हराया। अब बाजार समिति चुनाव में भी दादा भुसे गुट ने १८ में से १४ सीटें जीतकर सत्ता पर कब्जा किया और चंद्रकांत शेवाले को निर्विरोध सभापति चुना गया, जबकि अरुणा सोनजकर उपसभापति बनीं। दरअसल, भाजपा विधायक अद्वय हिरे के छह समर्थक दादा भुसे गुट में शामिल हुए। अद्वय हिरे का सदस्यत्व रद्द कर दिया गया, क्योंकि वे मासिक बैठकों में अनुपस्थित थे। १८ में से १४ संचालक भुसे गुट के साथ हो गए, जिससे सत्ता बदल गई। दादा भुसे गुट की जीत के बाद उनके समर्थकों ने जोरदार जश्न मनाया। यह मालेगांव बाजार समिति में सत्ता परिवर्तन का प्रतीक है, जहां पहले अद्वय हिरे का १५ सालों तक दबदबा था। यह जीत दादा भुसे के राजनीतिक प्रभाव को और मजबूत करती है। उनके गुट ने विधानसभा के बाद इस चुनाव में भी अद्वय हिरे को करारी शिकस्त दी है।