सामना संवाददाता / मुंबई
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नार्को टेस्ट कराओ, मतलब खोका घोटाला, एंटीलिया की साजिश, विधायकों की तोड़फोड़ यह सब बाहर आएगा। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के नेता व सांसद संजय राऊत ने बोला है। राऊत ने कल नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि भाजपा अनिल देशमुख का नार्को टेस्ट कराने के लिए कह रही है। अगर फडणवीस का नार्को टेस्ट कराया जाए तो अनिल देशमुख पर १०० करोड़ की वसूली के आरोप, शिवसेना नेताओं पर आरोप जैसे तमाम मामले वैâसे किए, यह सब बाहर आएगा।
राजनीति में फडणवीस हैं कच्चे नींबू
उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस राजनीति के कच्चे नींबू हैं। मोदी-शाह ने उन्हें फुगाकर तरबूज कर दिया। चांदिवाल रिपोर्ट पेश होने के अगले १०-१२ दिनों में उन्होंने हमारी सरकार गिरा दी थी। इसमें बहुत ही विस्फोटक जानकारी है और यह रिपोर्ट किसी के सामने न आने पाए, इसीलिए फडणवीस ने हमारी सरकार गिरा दी। इसलिए उन्हें अति होशियार होने का दिखावा नहीं करना चाहिए। उनकी होशियारी हमने लोकसभा में निकाल दी है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि फडणवीस राजनीति नहीं करते, बल्कि लफंगों का गिरोह चला रहे हैं। यह महाराष्ट्र के लिए लगा हुआ प्रत्यक्ष अभिशाप है। इसीलिए ही महाराष्ट्र की संस्कारी राजनीति खत्म हो गई है। इस तरह का आरोप भी संजय राऊत ने लगाया। वे दिल्ली में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। अनिल देशमुख ने जो खुलासा किया और उस पर जवाब देने के लिए फडणवीस को जेल के एक अपराधी प्रवक्ता की मदद लेनी पड़ती है, इसी से ही वे उस चक्रव्यूह में खुद ही फंस गए हैं। अब यह स्पष्ट होता हुआ दिखाई दे रहा है। अनिल देशमुख ने कल एक मुद्दा रखा, जिसमें उन्होंने कहा कि फडणवीस चांदिवाल आयोग की रिपोर्ट का खुलासा क्यों नहीं कर रहे। इस आयोग की ११ महीने तक सुनवाई हुई है और यह रिपोर्ट १,४०० पन्नों की है। इसमें अत्यधिक विस्फोटक जानकारी है। संजय राऊत ने कहा कि इससे पहले कि यह विस्फोटक जानकारी सामने आती, फडणवीस ने शिवसेना विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी। संजय राऊत ने कहा कि शिवसेना धारावी पुनर्विकास परियोजना में किसी तरह का घोटाला अथवा मुंबई को लुटने नहीं देगी। उन्होंने कहा कि वर्षा बंगले पर धारावी के बदले मुंबई के २० भूखंडों को अडानी को देने की साजिश रची जा रही है।
मोदी हमेशा पंडित नेहरू का उदाहरण देते हैं, लेकिन नेहरू की संसदीय लोकतंत्र पर अपार श्रद्धा थी। जिस दिन विरोधी पक्षनेता का भाषण होता था, उस दिन वे संसद में उपस्थित रहते थे। नेहरू, लालबहादुर शास्त्री समेत अन्य ने भी इस संसदीय परंपरा का पालन किया, लेकिन मोदी के मन में मजबूत विरोधी पक्षनेता का भय है और राहुल गांधी के रूप में जो तूफान पैदा हुआ है, उसका वे सामना नहीं कर सकते हैं।
-संजय राऊत, शिवसेना नेता व सांसद