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कई कॉलेजों ने किया नजरअंदाज! नैक मूल्यांकन में १,९५७ उच्च शिक्षा संस्थानों ने पूरी की प्रक्रिया

सामना संवाददाता / मुंबई
पहली बार महाराष्ट्र ने देश में नैक मूल्यांकन प्रक्रिया में अग्रणी स्थान हासिल किया है। राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद के आंकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य के ३५ विश्वविद्यालयों और १,९२२ कॉलेजों सहित कुल १,९५७ उच्च शिक्षा संस्थानों ने नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। हालांकि, कई कॉलेजों ने इसे नजरअंदाज किया है।
गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, उच्च शिक्षा संस्थानों को नैक मूल्यांकन व पुनर्मूल्यांकन कराना अनिवार्य है। नैक मूल्यांकन श्रेणी से कॉलेज की रैंक भी स्पष्ट होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अनुरूप उच्च शिक्षा संस्थानों की मूल्यांकन प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन कराने के लिए लगातार फॉलोअप किया है, लेकिन जटिल प्रक्रिया होने की वजह से राज्य के कई कॉलेजों ने इसे नजरअंदाज कर दिया है।
नैक वेबसाइट पर मई में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में सबसे अधिक १,९५७ उच्च शिक्षा संस्थान हैं, जिनका नैक द्वारा मूल्यांकन किया गया है। महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक में १,०२८, जबकि तमिलनाडु में ९०४ उच्च शिक्षा संस्थानों की नैक मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कॉलेजों की संख्या बढ़ी है। बता दें कि कॉलेजों द्वारा नैक मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा करने में की जा रही देरी से महाराष्ट्र इसमें पिछड़ रहा था। हालांकि, अब इसमें बदलाव आया है और पहली बार महाराष्ट्र देश में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है।
उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से लगातार फॉलोअप किया गया। विश्वविद्यालयों को नैक मूल्यांकन नहीं कराने वाले कॉलेजों के प्रथम वर्ष के प्रवेश को रोकने, पुनर्मूल्यांकन करने, नैक मूल्यांकन नहीं करानेवाले कॉलेजों की संबद्धता रद्द करने, अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विश्वविद्यालय में पुनर्मूल्यांकन करने का भी आदेश दिया गया था। परिणामस्वरूप नैक मूल्यांकन, पुनर्मूल्यांकन करानेवाले कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि नैक मूल्यांकन में राज्य अग्रणी रहा है। अब केंद्रीय स्तर पर इस पर ध्यान दिया गया है और महाराष्ट्र का अनुसरण अन्य राज्य भी कर रहे हैं।
-डॉ. शैलेंद्र देवलाणकर,
उच्च शिक्षा निदेशक

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