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वहम ने बनाया वहशी! … चाकू लेकर पड़ोसियों पर टूटा, २ की मौत, ३ घायल

जितेंद्र मल्लाह / मुंबई
वहम के कारण वहशी बने एक ५४ वर्षीय शख्स ने अपनी हरकत से कल पूरी मुंबई को दहला दिया। पारिवारिक कलह के कारण अलग रह रहे बीवी बच्चों को भड़काने के शक में वह अपने पड़ोसियों पर चाकू लेकर टूट पड़ा। इस घटना में पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से दो को अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया है। घटना दक्षिण मुंबई के डीबी मार्ग पुलिस थाना क्षेत्र की बताई जा रही है।
बता दें कि दक्षिण मुंबई के ग्रांट रोड स्थित पार्वती मेंशन में कल उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब इमारत में रहनेवाला एक ५४ वर्षीय शख्स अचानक धारदार चाकू लेकर इमारत में रहनेवाले लोगों पर हमला करने लगा। बताया जा रहा है कि करीब ५ लोगों को घायल करने के बाद वह अपने घर में जाकर छिप गया। आरोपी की पहचान चेतन गाला के रूप में सामने आई है। उसके हमले में घायल दो लोगों को नायर अस्पताल जबकि ३ को एच.एन. रिलायंस अस्पताल में ले जाया गया, जिनमें से दो लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आई है। हमले में मारे गए पड़ोसियों की पहचान जयेंद्र मिस्त्री और ईला मिस्त्री के रूप में हुई है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार, दोनों पर चाकू से करीब १५ से अधिक वार किए जाने की जानकारी सामने आई है। गंभीर रूप से घायल स्नेहल ब्रह्मभट्ट, जैनील ब्रह्मभट्ट और प्रकाश वाघमारे नामक तीन अन्य का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
परिवार को भड़काने का हुआ था भ्रम
जोन-२ के डीसीपी अभिनव देशमुख ने पत्रकारों को बताया कि पारिवारिक कलह के कारण आरोपी की बीवी और बच्चे दो महीने से उससे अलग रह रहे थे। आरोपी को लगता था कि पड़ोस में रहनेवाले लोगों ने उसके बीवी-बच्चों को भड़काकर उससे अलग किया है। इसलिए वह पड़ोसियों को दोषी मानकर उन्हें सजा देना चाहता था। उसी मनोदशा के कारण कल दोपहर में करीब साढ़े ३ बजे उसने पड़ोसियों पर अचानक हमला किया था। मौके पर पहुंची डीबी मार्ग की पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस आईपीसी की धारा ३०७ और ३०२ के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच में जुट गई है।
प्रताड़ना और हत्या की आशंका बनाती है सनकी
फोर्टीज अस्पताल के न्यूरो सर्जन, डॉ. चंद्रकांत तिवारी का कहना है कि डिलीजन ऑफ पर्सिनेशन एवं डिलीजन ऑफ ग्रांडिया से ग्रस्त लोग समय पर और उचित इलाज नहीं मिलने पर अक्सर आक्रामक हो जाते हैं और इसके परिणाम ऐसी वारदातों के रूप में सामने आते हैं। डिलीजन ऑफ पर्सिनेशन के रोगियों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि लोग उन्हें बेवजह प्रताड़ित कर रहे हैं, जबकि डिलीजन ऑफ ग्रांडिया के मामले में रोगी खुद को बेहद महत्वपूर्ण समझने लगता है। उसे लगता है कि लोग उससे द्वेष रख रहे हैं। उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं तथा उसकी हत्या कर सकते हैं। ऐसे में आत्मरक्षा के भ्रम में आक्रामक हुआ रोगी खुद ही दूसरों पर हमला करने लगता है।

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