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जून से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करना असंभव! शैक्षणिक बदलाव में प्रशासन सुस्त

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने हाल ही में घोषणा की है कि वे जून से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करेंगे। हालांकि, बिना किसी पूर्व तैयारी के शैक्षिक बदलाव की जल्दबाजी शिक्षा मंत्री ने शुरू की है, ऐसी आलोचनाएं शिक्षा महकमे में शुरू हैं। दूसरी तरफ संबंधित प्रशासन शैक्षिक बदलाव में सुस्ती बरत रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों का मत है कि जून से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना संभव नहीं है। ऐसे में इस बार भी १०वीं और १२वीं की परीक्षाएं पारंपरिक तरीके से ही होने का अनुमान है, वहीं बालभारती की ओर से निर्देश दिया गया है कि पाठ्य पुस्तकों की मांग दर्ज कराएं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में शिक्षा नीति को लागू करने के लिए मंत्री स्तर पर हलचल शुरू है। हालांकि, राज्य माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, प्राथमिक शिक्षा परिषद, बालभारती जैसे संबंधित संस्थानों में इस संबंध में कोई निर्देश नहीं पहुंचा है। बालभारती ने हाल ही में प्रदेशभर से पाठ्य पुस्तकों की मांग दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं। इसलिए पूर्व तैयारी के अभाव में प्री-प्राइमरी से बारहवीं तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दो महीने में लागू करना मुश्किल है। प्रशासन अभी भी राज्य में शैक्षणिक बदलाव करने से कतरा रहा है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस बात की प्रबल संभावना है कि १०वीं और १२वीं की परीक्षाएं पारंपरिक तरीके से होंगी।
इन बातों की पूर्ति करना जरूरी
जून से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए पाठ्यक्रम, मूल्यांकन पद्धति में परिवर्तन, संशोधित नीति के अनुसार पाठ्यपुस्तकों का निर्माण, शिक्षा का बहु-विषयक एकीकरण, उसके लिए आवश्यक भौतिक सुविधाएं, शिक्षक प्रशिक्षण, संसाधन की आवश्यकता इन निम्नलिखित बातों को पूरा करना आवश्यक है। इसे लेकर शिक्षा विशेषज्ञों ने मत व्यक्त किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना असंभव है।

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