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पाकिस्तान के लिए ‘आपदा’ साबित हुए इमरान : जंग के मैदान में तब्दील हुआ लाहौर!

एजेंसी / लाहौर
इमरान खान पाकिस्तान के लिए आपदा साबित हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के साथ तनाव बढ़ाया और पाकिस्तान का शासन करने में असमर्थ रहे। उन्होंने ऋण की शर्तें स्वीकार करने के बाद अपने वादे से मुकर कर आईएमएफ के साथ भी संबंध खराब कर लिए। यही वजह है कि आईएमएफ और नई सरकार के बीच भरोसे की कमी है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारत के सऊदी अरब और ईरान के साथ बहुत अच्छे द्विपक्षीय रिश्ते हैं। सऊदी अरब और ईरान के बीच जारी तनाव पाकिस्तान की धरती पर शिया और सुन्नी के बीच संघर्ष में दिखा, जहां ये दोनों देश अलग-अलग गुटों का समर्थन कर एक तीसरे देश की धरती पर लड़े। शिया समुदाय को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन पर चरमपंथियों और यहां तक कि जिहादियों, विशेष रूप से बलूचिस्तान में हजराजात समुदाय द्वारा हमला किया जाता है, जहां सामूहिक हत्याएं हुई हैं। पिछले दो दिनों से पाकिस्तान में जारी घटनाक्रम में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की प्रांतीय राजधानी लाहौर के पॉश और सुरुचिपूर्ण इलाके में युद्ध जैसा माहौल बना हुआ है।

बहाना बना रहे हैं इमरान
लाहौर के जमान पार्क इलाके में तहरीक-ए इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान का घर है, जो कई दशक पहले उन्हें अपने भाई-बहनों के साथ पिता से विरासत में मिला था। लेकिन जब इमरान खान मुल्क के प्रधानमंत्री बने, तो उनकी तीसरी बीवी बेगम बुशरा ने घर के भीतरी और बाहरी हिस्से में इतनी मरम्मत कराई कि कोई सोच भी नहीं सकता कि यह वही पुराना मामूली बंगला है। इन दिनों यह इलाका इसलिए युद्ध क्षेत्र बना हुआ है, क्योंकि इमरान खान ने कानून के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। उन्हें पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट, इस्लामाबाद हाईकोर्ट और लाहौर हाईकोर्ट द्वारा तलब किया गया है, लेकिन वह बहाना बनाते हैं और अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं। आखिरकार अदालतों को इस्लामाबाद पुलिस को गिरफ्तारी वारंट के साथ भेजना पड़ा, लेकिन इमरान खान इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे। उन्होंने और पीटीआई के अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर लोगों का आह्वान किया और देखते ही देखते डंडों, लाठियों, गुलेल और पत्थरों से लैस हजारों समर्थक पुलिस को इमरान खान को गिरफ्तार करने से रोकने के लिए उनके घर के बाहर इकट्ठा हो गए।

खान के समर्थकों और पुलिस के साथ संघर्ष
खान के समर्थकों को पुलिस और रेंजरों के साथ संघर्ष करते हुए देखा जा रहा है। यह साफ था कि ये सामान्य समर्थक नहीं थे, बल्कि वे लोग थे, जो गुरिल्ला युद्ध में अच्छी तरह से प्रशिक्षित थे। वे नकाबपोश थे और उन्होंने पुलिस के ऊपर आंसू गैस के गोले छोड़े। उनके पास पेट्रोल बम थे और उन्होंने सरकारी एवं निजी वाहनों को नष्ट कर दिया। यहां तक कि जिन वाहनों में पुलिस और रेंजर्स बैठे थे, उन्होंने उस पर भी पेट्रोल बम फेंके, जिसके चलते उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए भागना पड़ा। गनीमत रही कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किसी तरह की हवाई फायरिंग नहीं हुई।

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