राजस्थान में जबसे भाजपा की सरकार बनी है, तबसे शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक सब कुछ चरमरा गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल के राज्य के केकड़ी जिले में बघेरा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों चिकित्सा सेवाओं की बदहाली की की स्थिति में है। स्वास्थ्य केंद्र पर तीन डॉक्टर पदस्थ हैं, इनमें से एक डॉक्टर केकड़ी में बीसीएमओ के पद पर प्रतिनियुक्ति पर है, जबकि एक डॉक्टर पिछले तीन-चार महीनों से गायब बताया गया है। नतीजतन मरीजों को देखने और दवाइयां लिखने का काम नर्सिंगकर्मियों पर छोड़ दिया गया है।
इस केंद्र पर डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी का असर सीधा-सीधा मरीजों पर पड़ रहा है। मौसमी बीमारियों के चलते यहां मरीजों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन हालात इतने खराब हो चुके हैं कि डॉक्टरों की गैर मौजूदगी में नर्सिंगकर्मियों की अनियमितता और मनमानी से उन्हें समय पर इलाज ही नहीं मिल पा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पांच डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन दो पद रिक्त हैं और केवल तीन डॉक्टर ही कार्यरत हैं। इनमें से भी एक डॉक्टर को प्रतिनियुक्ति पर केकड़ी भेजा गया है और एक डॉक्टर कई महीनों से गायब हैं। ऐसा ही हाल नर्सिंगकर्मियों का है। छह नर्सिंगकर्मियों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक को सरवाड़ अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है।
मरीजों की मुश्किलें सिर्फ डॉक्टरों की अनुपस्थिति तक सीमित नहीं हैं। यहां जांच के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनें भी खराब पड़ी हैं, जिसके चलते मरीजों को जांच के लिए केकड़ी जिला अस्पताल जाना पड़ता है। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
मरीजों का कहना है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और नर्सिंगकर्मियों के बीच तालमेल की कमी के चलते उन्हें इलाज के लिए मारे-मारे फिरना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। यहां काम करने वाले चिकित्साकर्मी अपने निजी हितों और राजनीतिक दबावों के चलते सही समय पर अपनी ड्यूटी नहीं निभा रहे हैं। यही कारण है कि ग्रामीणों को यहां इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।