मनमोहन सिंह
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक, अपनी उम्र के हिसाब से हाइट में बहुत छोटे बच्चों का ४६.३६ फीसदी उत्तर प्रदेश में है, यानी उनकी ऊंचाई तय मानकों से कम पाई गई। वहीं कम वजन वाले बच्चों के मामले में मध्य प्रदेश २६.२१ प्रतिशत के साथ सबसे टॉप पर है। कमजोर बच्चों का तात्पर्य उन बच्चों से है, जो अपनी लंबाई के हिसाब से बहुत पतले होते हैं।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि जून २०२४ के ‘पोषण ट्रैकर’ के आंकड़ों के अनुसार, छह वर्ष से कम उम्र के लगभग ८.५७ करोड़ बच्चों की लंबाई मापी गई, जिन में से ३५ प्रतिशत बौने (अपनी उम्र के अनुपात में कम कद वाले) पाए गए, वहीं १७ प्रतिशत कम वजन वाले और पांच वर्ष से कम उम्र के छह फीसदी बच्चे कम ताकत वाले पाए गए।
राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक, बौनेपन की सर्वाधिक ४६.३६ प्रतिशत दर उत्तर प्रदेश में है और दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप है, जहां यह दर ४६.३१ फीसदी है। देश में पांच साल तक के ३७ प्रतिशत बच्चे बौने तथा १७ प्रतिशत पांच साल तक के बच्चे कम वजन वाले पाए गए। भारत में जन्म लेने वाले ० से पांच साल तक के बच्चों में से ३६ प्रतिशत बौने हैं। इसी आयुवर्ग के करीब १७ फीसदी बच्चे कम वजन वाले पाए गए, जबकि छह फीसदी कमजोर की श्रेणी पाए गए। ये तीनों लक्षण कुपोषण का शिकार बच्चों में पाए जाते हैं।
गौरतलब है कि भारत में २०२१ और २०२३ के बीच १९.४६ करोड़ कुपोषित लोग थे। यह कुल आबादी का १३.७ प्रतिशत था। खाद्य और कृषि संगठन या एफएओ की परिभाषा के अनुसार, `कुपोषण’ का अर्थ है कि कोई व्यक्ति एक वर्ष की अवधि में दैनिक न्यूनतम आहार ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। जबकि ‘वेस्टिंग’ यानी बौनेपन से प्रभावित बच्चों (पांच वर्ष से कम) की संख्या २.१९ करोड़ (१८.७ प्रतिशत) थी और २०२२ में ३.६१ करोड़ (३१.७ प्रतिशत) बच्चे बौने थे, उनकी ऊंचाई तय मानकों से कम पाई गई।
आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बौनेपन की दरें क्रमश: ४४.५९ प्रतिशत और ४१.६१ प्रतिशत दर्ज की गई हैं। बिहार और गुजरात में बच्चों में शक्तिक्षीणता की दर क्रमश: ९.८१ प्रतिशत और ९.१६ प्रतिशत है। कम वजन वाले बच्चों के मामले में मध्य प्रदेश २६.२१ प्रतिशत के साथ सबसे आगे है, इसके बाद दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव २६.४१ प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं।