अशोक तिवारी / मुंबई
केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में स्वच्छता अभियान की शुरुआत की है । इस स्वच्छता अभियान के तहत प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपए का फंड अलॉट किया जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और ही है।
देश की आर्थिक राजधानी और मेट्रो सिटी मुंबई में कुर्ला पश्चिम के वॉर्ड नंबर 160 में होमगार्ड की दीवार के पीछे अशोक नगर में आम्रपाली बुद्ध विहार है। इस क्षेत्र में हजारों नागरिक रहते हैं। हिल नंबर 3, संजय नगर और अशोकनगर के इलाके को मिलाकर करीब यहां पर दो लाख की आबादी रहती है। मुंबई शहर की आम जनता को मूलभूत सुविधा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार मुंबई महानगरपालिका का ध्यान यहां की झोपड़पट्टियों पर कभी नहीं गया। अशोकनगर के आम्रपाली बुद्ध विहार के पीछे की दर्जनों गुटरों को पिछले 20 वर्षों से साफ नहीं किया गया है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में मलेरिया, डेंगू और कुपोषण जैसी बीमारियां तेजी से फैली हुई हैं। कभी-कभार यहां के स्थानीय नागरिक खुद ही गटर को साफ कर लेते हैं, लेकिन इन नागरिकों के पास सफाई करने का कोई उपकरण न होने की वजह से ठीक ढंग से सफाई नहीं हो पाती है। स्थानीय समाजसेवक अनिल रोकड़े ने बताया कि उन्होंने खुद की संदर्भ में कम से कम एक दर्जन बार कुर्ला के एल वॉर्ड को लिखित शिकायत की है, लेकिन मनपा के अधिकारी कभी भी साफ-सफाई करने नहीं आते। गटर इस तरह भरी हुई है और गंदगी का साम्राज्य इतना ज्यादा है कि लोगों को पानी के बीच में ईंट रखकर अपने घरों में जाना पड़ता है। इतनी सावधानी के बावजूद भी छोटे बच्चे गंदे पानी में गिर जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।
गटर जैसी मूलभूत जरूरतों की भी साफ-सफाई न करना यह साबित करता है कि विकसित भारत तो बहुत दूर की कौड़ी है, अभी तक मुंबई जैसे शहर में स्वच्छ भारत भी नहीं हो पा रहा है। इस संदर्भ में एक प्रतिक्रिया लेने के लिए कुर्ला के सहायक आयुक्त धनाजी हरलेकर से संपर्क करने की बार-बार कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया।