• महिला ने मुख्यमंत्री पोर्टल व जिलाधिकारी से की शिकायत
• जेई पर लगाया मिलीभगत कर आवास देने का आरोप
सामना संवाददाता / जौनपुर
मोदी-योगी सरकार जहां भ्रष्टाचार मुक्त के दावे कर रही है, वहीं प्रधानमंत्री के नाम वाली आवास योजना में ही भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब केंद्र में सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार की एक बार फिर से पोल खुल गई है। प्रधानमंत्री आवास सचिवों की जेब भरने का साधन बनकर रह गया है। वास्तविक गरीबों की बजाय सुविधा संपन्न लोगों को आवास देकर सरकारी धन का बंदरबांट करते हैं।
नगर क्षेत्र में अपात्रों को डूडा द्वारा प्रधानमंत्री आवास दिए जाने का मामला धीरे-धीरे सामने आ रहा है, जिसमें नियम-कानून को ताक पर रखकर रेवड़ी की तरह आवास वितरित किए गए हैं।
ऐसा ही एक मामला जफराबाद नगर पंचायत के नासही मुहल्ले से भी प्रकाश में आया है, जिसमें नियमावली को दरकिनार कर पक्के मकानवालों को भी प्रधानमंत्री आवास आवंटित कर दिया गया है। जिसकी शिकायत एक महिला द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ जिलाधिकारी से भी की गई है। जिसमें यह भी दावा किया गया है कि अगर जांच हुई तो इस तरह के सैकड़ों अन्य मामले भी सामने आ सकते हैं।
शिकायती पत्र के अनुसार, जफराबाद थाना क्षेत्र के नासही मुहल्ला निवासी हुस्ना जैदी पत्नी स्व. आफताब हुसैन जैदी द्वारा क्षेत्रीय जेई की मिलीभगत से प्रधानमंत्री आवास प्राप्त कर लिया गया, जबकि वर्तमान समय में उक्त महिला के पास पहले से ही पक्के मकान मौजूद हैं। इतना ही नहीं, उक्त महिला द्वारा आवास योजना के तहत जारी होनेवाली दो किस्तें भी प्राप्त कर ली गई हैं। शिकायतकर्ता फरहत फातमा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल व जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि डूडा कार्यालय द्वारा जेई की मिलीभगत से ऐसे कई अपात्रों को रेवड़ी की तरह आवास बांटे गए हैं। इतना ही नहीं, नगर क्षेत्र के तारापुर तकिया मुहल्ले में भी ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आ रहा है। जिसमें एक ही परिवार में पांच आवास दिए गए हैं और कई अविवाहित महिलाओं को आवास आवंटित किए गए हैं। इस संबंध में जेई रविकांत तिवारी का पक्ष जानने के लिए उनके दूरभाष नंबर पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि शिकायत किए जाने के बाद मंगलवार को डूडा कार्यालय से किसी कर्मचारी द्वारा लैंडलाइन नंबर से उनके नंबर पर फोन किया गया और शिकायत वापस लेने की धमकी भी दी गई।
शिकायतकर्ता का यह भी दावा है कि अगर प्रशासन द्वारा मामलों की जांच कराई गई तो ऐसे सैकड़ों मामले प्रकाश में आ सकते हैं। जहां डूडा कार्यालय द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अपात्रों को आवास दे दिया गया है।