मुख्यपृष्ठनए समाचारशिशु मृत्यु दर के बढ़ते मामले को देखते हुए नींद से जागा स्वास्थ्य विभाग!

शिशु मृत्यु दर के बढ़ते मामले को देखते हुए नींद से जागा स्वास्थ्य विभाग!

-चलाया गया है विशेष दस्त नियंत्रण पखवाड़ा

-२१ तारीख तक किया जाएगा क्रियान्वित

सामना संवाददाता / ठाणे

जिले में शिशु मृत्यु दर के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की नींद अब जाकर टूटी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से एक विशेष दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया गया है। यह गतिविधि २१ जून तक क्रियान्वित की जाएगी। यह पखवाड़ा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। शून्य से ५ साल तक की आयु में डायरिया की तीन श्रेणियां हैं। बिना निर्जलीकरण का डायरिया, मध्यम निर्जलीकरण के साथ, गंभीर निर्जलीकरण के साथ डायरिया होता है। तीनों अवस्थाओं में दस्त प्रबंधन आवश्यक है।
डायरिया से होती है बच्चों की मौत
देश में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का प्रमुख कारण डायरिया है। ५ से ७ प्रतिशत बच्चों की मौत डायरिया के कारण होती है। गर्मी और मानसून में शिशु मृत्यु दर अधिक होती है। ठाणे जिले की संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली डायरिया से होने वाली बाल मृत्यु को शून्य करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। जिला परिषद के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में बाह्य रोगी विभाग एवं अंत: रोगी विभाग में ओआरएस और जिंक कॉर्नर की स्थापना की जाएगी तथा इस कॉर्नर में ओआरएस पैकेट एवं जिंक टेबलेट उपलब्ध रहेंगे। कार्यक्रम जिला मातृ एवं शिशु देखभाल अधिकारी डॉ. स्वाति पाटील के तकनीकी मार्गदर्शन में किया जाएगा और जिला स्तरीय पर्यवेक्षण भी उनके द्वारा किया जाएगा।
ऐसे होगी जांच
जिले में ३३ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, १९० शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और १९० उपकेंद्र हैं, जिनमें ० से ५ वर्ष की आयु वर्ग की ५२ हजार १७३ की आबादी है। कुल १ हजार ३०५ आशा स्वयंसेवक घर-घर जाकर जांच करेंगी। डोर सर्वे और सेवाएं प्रदान करने पर स्वास्थ्य विभाग का विशेष फोकस रहेगा। विशेष झोपड़पट्टियों, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, उप-केंद्रों जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता काम नहीं कर रहे हैं। खानाबदोश जनजातियों, ईंट भट्ठा श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों, बेघर बच्चों और आशा क्षेत्रों और पिछले दो वर्षों में डायरिया से प्रभावित और संक्रमित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जल आपूर्ति क्षेत्रों को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
नवजात और माताओं को देना होगा यह ध्यान
डॉ. पारगे ने बताया कि नवजात शिशुओं और उनकी माताओं को स्वच्छता, हाथ धुलाई का महत्व और रोकथाम के प्रति जागरूक करना है। ३ बार किसी को पतले दस्त होना डायरिया कहलाता है। इसमें हर दस्त के बाद ओआरएस का घोल पीने और १४ दिनों तक जिंक सल्फेट की गोलियां खाने से निर्जलीकरण से बचा जा सकता है। दस्त में लापरवाही मृत्यु तक हो सकती है।

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