सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान जानलेवा बीमारी कैंसर की राजधानी बनता जा रहा है। बीते कुछ सालों के भीतर देश में बच्चों और युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी में कैंसर की मजबूत पकड़ बनती जा रही है। जानकारों का कहना है कि हिंदुस्थान में पुरुषों में फेफड़े, मुख, प्रोस्टेट और महिलाओं में स्तन, गर्भाशय और अंडाशय के वैंâसर तेजी से बढ़े हैं। इससे वैज्ञानिकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है तो दो दशक में कैंसर से स्थिति और बिगड़ सकती है।
अपोलो अस्पताल द्वारा जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्थान में कैंसर रोगियों की संख्या वैश्विक स्तर पर कैंसर रोगियों की संख्या की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। देश में कैंसर से ग्रसित होने की औसत आयु कम हो गई है। हिंदुस्थान में स्तन कैंसर से ग्रसित होने की औसत आयु ५२ वर्ष है, जबकि अमेरिका और यूरोप में यह ६३ वर्ष है। हिंदुस्थान में फेफड़ों के वैंâसर की औसत आयु ५९ वर्ष है, जबकि पश्चिमी देशों में यह ७० वर्ष है। हिंदुस्थान में कोलन कैंसर की औसत आयु ५० वर्ष है। दूसरी तरफ जहां कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ स्क्रीनिंग करने की दरें बहुत कम हैं। हिंदुस्थान में स्तन कैंसर की जांच दर १.९ फीसदी है, जबकि अमेरिका में ८२ फीसदी, यूके में ७० फीसदी और चीन में २३ फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुस्थान में सर्वाइकल कैंसर की जांच दर ०.९ प्रतिशत और अमेरिका में ७३ प्रतिशत, यूके में ७० प्रतिशत, चीन में ४३ प्रतिशत है।
हिंदुस्थानियों में बढ़ रहा मोटापा
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि हिंदुस्थानियों में मोटापा बढ़ रहा है। अपोलो में जांच किए गए चार में से तीन लोग मोटापे से ग्रस्त पाए गए। साल २०१६ में मोटापे की व्यापकता ९ प्रतिशत थी, जबकि साल २०२३ में यह २० फीसदी तक पहुंच गया है। देश में हर तीन में से दो लोग हाई ब्लड प्रेशर की तरफ बढ़ रहे हैं। साल २०१६ में हाइपरटेंशन के रोगियों का अनुपात ९ प्रतिशत था, जो साल २०२३ में बढ़कर १३ प्रतिशत हो गया। देश में तीन में से एक व्यक्ति को प्रीडायबिटीज और दस में से एक को अनियंत्रित मधुमेह है। साथ ही दस में से एक व्यक्ति अवसादग्रस्त है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अवसाद का प्रसार १८ से ३० वर्ष के आयु वर्ग और ६५ वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों में सबसे अधिक है।
तेजी से बढ़ सकते हैं मामले
दुनिया में हर साल लाखों लोगों में कैंसर के नए मामलों का निदान और मौतें हो जाती हैं। अध्ययनों में साल २०५० तक आंकड़ों के और तेजी से बढ़ने की आशंका जताई गई है। कैंसर डेटा के मुताबिक, साल २०२२ में दुनियाभर में अनुमानित दो करोड़ कैंसर के नए मामलों का निदान किया गया और ९७ लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल २०५० तक कैंसर के रोगियों संख्या ३.५ करोड़ प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। पिछले एक दशक के आंकड़े बताते हैं कि हिंदुस्थान में भी इस गंभीर और जानलेवा रोग के केस साल दर साल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।