-न जाने कितने दागी भाजपा में जाकर वापस हुए, न जाने कितने भाजपा की गोद में समा गए!
मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी में किसके कहने से दूसरे दलों से आए लोगों को एंट्री मिलती है, यह रहस्य बनता जा रहा है। शुक्रवार को बसपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे अनंत मिश्र “अन्टू” भाजपा कार्यालय में बने ज्वानिंग हाल में भाजपा की नई ज्वाइन के लिए आए नेताओं की अग्रिम पंक्ति में देखे गए। दूसरे दलों से आए कई नेताओं की ज्वाइनिंग हुई। देखते ही देखते अनंत मिश्र “अन्टू” गायब हो गए। उसके बाद यह खबर गरमा गई की अन्टू मिश्र भाजपा ज्वाइन करने आए थे, लेकिन दिल्ली से उनकी ज्वाइनिंग रोक दी गई। कारण बताया गया कि बसपा सरकार के दौरान हुए एनएचएम घोटाले में वह भी आरोपी हैं और उनकी जांच चल रही है। भाजपा में ज्वाइनिंग को लेकर किसी की फजीहत होना यह कोई नई बात नहीं है।
बताते हैं कि इससे पहले नवंबर 2022 में नगर निगम चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी की ज्वाइनिंग फाइनल हुई थी। वह सहारनपुर से खतौली के लिए सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ निकले। रास्ते में उनके काफिले को न सिर्फ रोक दिया गया, बल्कि यह बताया गया कि पार्टी में एक खेमा योगी सरकार पार्ट-1 में उनके मंत्री रहते हुए आयुष घोटाले से उनको जोड़ कर ज्वाइनिंग रुकवा दिया। विधानसभा चुनाव 2022 में बाबू सिंह कुशवाहा, दारा सिंह चौहान के साथ धर्म सिंह भी योगी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। सपा के टिकट पर सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा से चुनाव लड़ कर यह हार गए और प्रदेश में फिर से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में फिर से भाजपा की सरकार बन गई, जिसके कारण एक स्थानीय खेमा पार्टी में यह खबर फैलवा दिया कि इनके विरुद्ध अभी आयुष घोटाले की जांच चल रही है।
इसलिए इनकी ज्वाइनिंग रोक दी गई। आज तक यह नहीं पता चला कि कौन धर्म सिंह को भाजपा में ले रहा था और किसने आधे रास्ते मे उनके काफिले को वापस करवा कर फजीहत करवा दिया। इससे पहले अगस्त 2021 में जितेंद्र कुमार सिंह “बब्लू” को पार्टी में शामिल करके निकाल दिया गया था। बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अति करीबी रहे बब्लू पर तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही रीता बहुगुणा जोशी का मकान जलाने का आरोप है। बताया जाता है कि भाजपा का एक खेमा बब्लू को पार्टी में लखनऊ कार्यालय पर शामिल कराया। प्रयागराज से भाजपा की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने केंद्रीय नेतृत्व से इस ज्वाइनिंग पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराया। चंद दिनों में जितेंद्र सिंह “बब्लू” भाजपा से बाहर कर दिया गया।
2011 में मायावती सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में मायावती द्वारा बर्खास्त किए गए बाबू सिंह कुशवाहा को जनवरी 2012 में भाजपा में शामिल कर लिया गया। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी भाजपा नेतृत्व पर भ्रस्टाचारी को शामिल करने का आरोप लगाने लगीं, तब कुशवाहा को बाहर किया गया। कहा जाता है कि इस फजीहत में भी केंद्र और राज्य में समन्वय का अभाव दिखा था। उन्नाव में हुए चर्चित दुराचार प्रकरण में जेल में बंद भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बना दिया गया। जब मामला मीडिया में गरमाया, तब उनकी प्रत्याशिता वापस ली गयी। लगभग दस वर्ष पहले कर्नाटक में प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने हिंदूवादी नेता प्रमोद मुतालविक को राज्य मुख्यालय में पार्टी में शामिल किया। जब चारों ओर से भारी विरोध होने लगा तो राष्ट्रीय नेतृत्व यह कह कर प्रमोद मुतालविक को भाजपा से बाहर किया कि बिना केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास में लिए राज्य इकाई ने ज्वाइनिंग करवा लिया था।
इस संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार नीतेश पांडेय ने कहा कि भाजपा बहुत बार ऐसा विवादित ज्वाइनिंग और निष्कासन खेलती रही है। हर ज्वाइनिंग में पार्टी दो खेमें में बटी रहती है। शामिल होने वाले व्यक्ति के साथ उससे जुड़ी ऐसी घटनाएं, जो संबंधित व्यक्ति पर दाग बन कर चिपक जाता है, उसके विरोध और समर्थन से हुई सामाजिक नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद भाजपा नेतृत्व अपने सुविधानुसार उसे अंदर लेता और बाहर करता है। “पार्टी विद डिफरेंट” की मार्केटिंग करने वाली भाजपा का नया राजनैतिक मॉडल “वासिंग मशीन” की हो गई है। इनके पास पता नहीं कौन का मंत्र है, जिसे बेईमान और भ्रस्टाचारी कह कर गाली देते हैं, उसी को पार्टी में शामिल करके पवित्र गंगोत्री बता कर प्रचारित करते हैं।