• किसी का भी वीजा नहीं किया रिन्यू
चीन और लोकतंत्र दोनों विपरीत ध्रुव हैं। वहां पर आजादी नहीं है। मीडिया संस्थान भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार ही चलाती है। वह जो बताए लोगों को वही सुनना-जानना है। कोविड के वक्त चीन ने इसीलिए विदेशी मीडिया पर बैन लगा दिया था। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के पत्रकारों को चीन ने देश से बाहर कर दिया था। अब चीन की आंखों में हिंदुस्थानी पत्रकार भी खटकने लगे हैं। इसी कारण उसने वहां काम कर रहे हिंदुस्थानी पत्रकारों का पैकअप करा दिया है। चीन में सिर्फ तीन हिंदुस्थानी पत्रकार ही काम करते थे। इनमें से दो को वीजा उसने रिन्यू नहीं किया था, जिससे उन्हें वापस आना पड़ा था। अब वहां सिर्फ पीटीआई का एक पत्रकार ही बचा था। उसका वीजा खत्म होने पर चीन ने वही किया। रिन्यू नहीं किया। इस तरह से चीन ने हिंदुस्थान के आखिरी पत्रकार को भी देश छोड़ने का आदेश दे दिया है। अब चीन का कहना है कि हिंदुस्थान में उसके पत्रकारों से सही बर्ताव नहीं किया जाता। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन कहते हैं, हम उम्मीद करते हैं कि हिंदुस्थान में हमारे पत्रकारों के लिए जो परेशानियां पैदा की जाती हैं, उन्हें खत्म किया जाएगा।
चीन का दोहरा रवैया
एक रिपोर्ट के मुताबिक मई में ‘एससीओ’ की मीटिंग के लिए हिंदुस्थान ने चीनी पत्रकारों को अस्थायी वीजा जारी किए थे। इस महीने की शुरुआत में हिंदुस्थानी विदेश मंत्रालय ने कहा था, उम्मीद है कि चीन हमारे पत्रकारों को वहां काम करने देगा। हम उनके पत्रकारों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते, लेकिन चीन हमारे पत्रकारों के काम में अड़ंगे लगाता है। चीन अपने अनगिनत जर्नलिस्ट्स के लिए इंडियन वीजा और वर्किंग डॉक्यूमेंट्स चाहता है, लेकिन भारत के तीन से ज्यादा पत्रकारों को काम नहीं करने देता।