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महंगाई ऑन होल्ड! …जब तक आप मतदाता हो रियायत है

उपभोक्ता बनते ही लूट लिए जाओगे
चुनाव बाद एफएमसीजी की बढ़ेंगी बेतहाशा कीमतें

देश में फिलहाल चुनाव का खुमार छाने लगा है। बाजार के जानकारों की मानें तो चुनाव बाद आगामी जून तक एक बार फिर से महंगाई दस्तक देनेवाली है। फिलहाल चुनाव के मद्देनजर इसे होल्ड यानी रोककर रखा गया है। दरअसल, जब सरकार आपको मतदाता के रूप में देखती है तो आपके ऊपर रियायतों की बारिश होती है। तेल, गैस जैसी जरूरी चीजों के भाव कम किए जाते हैं। चुनाव खत्म होते ही जब आप सिर्फ उपभोक्ता रह जाते हैं तो लूट शुरू हो जाती है। अब संकेत मिल रहे हैं कि चुनाव खत्म होते ही कीमतें बेतहाशा बढ़ सकती हैं। बाजार के जानकारों का मानना है कि सामान्य लोगों के रोजमर्रा जीवन में काम आनेवाली एफएमसीजी (उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियां २०२४-२५ की दूसरी छमाही तक अपने उत्पाद की कीमतों में ३ से ५ फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती हैं। छोटी, मूल्य वृद्धि से भी इसे बढ़ावा मिल सकता है। ऐसे में वे अधिकांश कंपनियां कीमतें बढ़ा सकती हैं जो वित्त वर्ष २३-२४ में खामोश थीं या जिन्होंने इस दौरान अपने उत्पाद की कीमतें स्थिर रखी थीं। गाजियाबाद स्थित डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा बताते हैं, ‘वित्त वर्ष २०२४-२५ के लिए अपना बजट तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, हमने पाया है कि इसमें कुछ मात्रा में कीमतें बढ़ने की संभावना है। अगले वित्त वर्ष में इस कारण कुछ फीसदी की मूल्य वृद्धि हो सकती है।’ इमामी के उपाध्यक्ष हर्ष अग्रवाल कहते हैं, ‘हालांकि, एफएमसीजी के भीतर वॉल्यूम वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है, फिर भी कीमतों में छोटी बढ़ोतरी होगी।’ उनके अनुसार, पर्सनल केयर और स्वास्थ्य देखभाल श्रेणियों में अगले साल कीमतों में १.५-३ फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। वित्त वर्ष २०२४-२५ की दूसरी छमाही में कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। वे कहते हैं, ‘विभिन्न श्रेणियों में इनपुट मूल्य और मांग परिदृश्य को ध्यान में रखने के बाद नाममात्र मूल्य वृद्धि हो सकती है। वित्त वर्ष २०२४ में कमोडिटी लागत में काफी हद तक नरमी देखी गई।’ मल्होत्रा के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में अनाज और शहद जैसे कुछ उत्पादों में दोहरे अंक में मुद्रास्फीति देखी गई है। डाबर क्रमश: बादशाह और डाबर हनी ब्रांडों के साथ मसालों और शहद का उत्पाद करता है।

गैस का गड़बड़झाला
घरेलू गैस चुनाव का एक बड़ा मुद्दा रहता है। पिछले विधानसभा चुनावों में कई राज्यों में यह बड़ा मुद्दा रहा है और कई राज्य सरकारों ने भी भारी छूट देने की घोषणाएं की थीं। अगस्त २०२३ में कुछ राज्यों के चुनाव के वक्त इसके दाम १०० रुपए घटाए गए थे। अब लोकसभा चुनाव के पूर्व फिर से घरेलू सिलिंडर की कीमत में १०० रुपए की कटौती की गई है जिसके बाद मुंबई में यह ८०२ रुपए का हो गया है। जानकारों का मानना है कि चुनाव खत्म करते ही २०१९ की कहानी दोहराई जाएगी और सरकार इसके दाम फिर बढ़ाना शुरू कर देगी।

तेल का सरकारी खेल
महंगाई में पेट्रोल-डीजल की कीमतों की भारी भूमिका होती है। पिछले साल सरकार ने पेट्रोल-डीजल के भाव बेतहाशा बढ़ाए थे। अब चुनाव को देखते हुए सरकार ने खेल करते हुए तेल की कीमतें २ रुपए प्रति लीटर घटा दी है। लक्षद्वीप में तो भाव १५ रुपए प्रति लीटर घटा दिए। पिछले २०१९ लोकसभा चुनाव के वक्त पेट्रोल की कीमतें ७० रुपए थीं, जो चुनाव खत्म होते ही बढ़ने लगी और ऐसी बढ़ी कि कुछ ही दिनों में १०० रुपए के पार चली गर्इं। बाजार के जानकारों का मानना है कि इस चुनाव के बाद भी सरकार फिर दाम बढ़ा देगी।

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