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मोदी राज में महंगाई डायन नहीं छोड़ेगी साथ!

आईएमएफ को भी नहीं है कोई उम्मीद बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। सरकार भले ही महंगाई के ५ फीसदी से कम होने का दावा कर रही है पर खाद्य पदार्थों की रोजाना बढ़ती कीमतों ने साफ संकेत दे दिया है कि यह ‘महंगाई डायन’ साथ नहीं छोड़नेवाली है। अब तो आईएमएफ ने भी कह दिया है कि उसे महंगाई घटने की कोई उम्मीद नहीं है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना जार्जीवा का कहना है कि महंगाई लंबे समय तक उच्च स्तर पर बनी रह सकती है और इसके लिए और ज्यादा मौद्रिक नीति की सख्ती की जरूरत पड़ सकती है।
गौरतलब है कि अभी पूरे देश में महंगाई से लोगों की हालत खराब है। स्थिति ऐसी है कि आम लोगों की थालियों से हरी सब्जियां गायब हो गई हैं। इस बीच एक बुरी खबर ये है कि आने वाले दिनों में दूध के भी दाम बढ़ सकते हैं, जो पहले से रिकॉर्ड स्तर पर हैं। खबर के अनुसार, आने वाले दिनों में दूध के दाम ५ फीसदी तक बढ़ सकते हैं। यह बढ़ोतरी इस तथ्य के बाद भी हो सकती है कि दूध के दाम न सिर्फ पहले से ही रिकॉर्ड उच्च स्तर पर हैं, बल्कि पिछले कुछ समय के दौरान इनमें रिकॉर्ड गति से बढ़ोतरी हुई है। वहीं खाने-पीने की अन्य जरूरी चीजों के बढ़े दाम से आम लोग पहले से परेशान चल रहे हैं।
महंगाई की बात करें तो जुलाई महीने के दौरान खुदरा महंगाई की दर में तेजी आई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में महंगाई की दर ४.४९ फीसदी रही। इससे पहले जून महीने के दौरान खुदरा महंगाई ४.२५ फीसदी रही थी। गत दो वर्षों से खुदरा महंगाई की दर रिजर्व बैंक की ऊपरी सीमा से ज्यादा चल रही है।
अभी खुदरा महंगाई की दर में कमी होने ही लगी थी कि टमाटर, मिर्च समेत कई हरी सब्जियों और मसालों के भाव में आग लग गई। देश के कई शहरों में टमाटर के भाव २५० रुपए किलो तक पहुंच गए। मिर्च के भाव भी २०० रुपए किलो तक हो गए। यही हाल लगभग सभी हरी सब्जियों का हुआ। मसालों में जीरा और गरम मसाला की कीमतें बेतहाशा बढ़ीं।
दूध की बात करें तो पिछले ३ साल में इनके भाव में २२ फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। पिछले एक साल में ही दूध करीब १० रुपए लीटर महंगा हुआ है, जबकि पिछले एक दशक में दूध के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़े हैं। मदर डेयरी हो या अमूल व सुधा जैसी डेयरी कंपनियां, सभी ने एक के बाद एक कर दूध के दाम बढ़ाए हैं।
इन कारणों से और बढ़ सकते हैं भाव
बताया जा रहा है कि पशुओं के चारे के दाम अभी रिकॉर्ड स्तर पर हैं। लंपी बीमारी से उत्पादन पर असर पड़ा है। मानसून और मौसम की वजह से आगामी सीजन में फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में पशुओं के चारे और महंगे हो सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि लागत और उत्पादन दोनों मोर्चे पर स्थिति ठीक नहीं है। महामारी के बाद दूध की मांग बढ़ी है। इस तरह सारे पैâक्टर दूध के दाम बढ़ाने के पक्ष में हैं।

दालों ने निकाला दम
अरहर और उड़द की दालों ने आम आदमी का दम निकाल दिया है। इन दालों की कीमतें एक महीने में ७ फीसदी तक बढ़ी हैं। अरहर दाल की कीमतों में बीते कुछ समय से लगातार तेजी का आलम बना हुआ है। २ महीने पहले तक अरहर की दाल का दाम ९५ से ११० रुपए प्रति किलो था लेकिन अब ये बढ़कर १५० से २०० रुपए प्रति किलो हो गया है। अरहर दाल की कीमत को कंट्रोल में रखने के लिए सरकार ने अपने बफर स्टॉक से खुले मार्वेâट में दाल की बिक्री करने की बात कही है पर इसका अभी कोई नतीजा देखने को नहीं मिला है।

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