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महंगाई डायन… सिर के साथ दुखने लगा दिल! ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल समेत कई दवाएं हुई महंगी, अच्छे डॉक्टर की महंगी फीस के बाद अब दवाओं पर असर

सामना संवाददाता / मुंबई
देश की जनता पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबी हुई है। आम जनता को यह महंगाई डायन पूरी तरह से खाए जा रही है। ऐसे में अब जरूरी दवाओं के दाम बढ़ने से सिर के साथ दिल भी दुखने लगा है। अच्छे डॉक्टरों की महंगी फीस के बाद अब ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल समेत कई दवाओं पर महंगाई का असर हुआ है। इन दवाओं की सूची में एंटीबायोटिक, एंटी-इंफेक्टिव, पेन किलर, दिल की बीमारी की दवाएं सबसे ऊपर हैं।
गौरतलब है कि दवाओं की कीमतें घटाने-बढ़ाने का काम केंद्र सरकार के अधीनस्थ नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी करती है। पिछले साल एनपीपीए ने दवाओं की कीमतों में १०.७ फीसदी की बढ़ोतरी की थी। हर साल होलसेल प्राइस इंडेक्स के आधार पर एनपीपीए दवाओं की कीमतों में बदलाव करती है। यह लगातार दूसरा साल है, जब दवाओं की कीमतें बढ़ीं हैं। इसका असर ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, एंटीबायोटिक, एंटी-इंफेक्टिव, पेन किलर, दिल के रोगों की दवाएं, विभिन्न संक्रमणों, किडनी, अस्थमा से संबंधित मरीजों को दी जाने वाली करीब ८०० आवश्यक दवाओं पर पड़ा है। इससे दवाओं की कीमतें १२.१२ फीसदी बढ़ गई हैं।
इस तरह हैं दवाओं की कीमत
ब्लड प्रेशर के रोगियों को दी जानेवाली टेलमा ४० दवा पहले २०२ रुपए में बिक रही थी, वह बढ़कर अब २२७ रुपए की हो गई है। इसी तरह हायपरटेंशन की डायटॉर गोली १६७ से बढ़कर १८४ रुपए की हो गई है। सर्दी-खांसी और बुखार में दिए जाने वाले लुपिहिस्ट दवा की भी कीमत में उछाल आया है। यह दवा पहले जहां १४६ रुपए में उपलब्ध हुआ करती थी, वह अब १६१ रुपए में बिक रही है। एंटीबायोटिक ओफ्लॉक्स २०० एमजी की टैबलेट पहले ८८ से ९४ रुपए और पैâक्सीन ५०० की कीमत २३७ से बढ़कर २६१ रुपए हो गई है। हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक के इलाज में इस्तेमाल होनेवाली एरोटिका ४० की कीमत में २३ रुपए का उछाल आया है और यह अब २४५ रुपए में बिक रही है।
मैन्युफैक्चरर्स पर कैंप लगाने की जरूरत
कई केमिस्टों का कहना है कि ग्राहकों को सबसे बड़ी राहत तब मिलेगी, जब सरकार मैन्युपैâक्चरर्स की कीमतों पर वैâप लगा देगी। उन्होंने कहा कि रिटेलर्स १० से १५ फीसदी की छूट देते हैं, लेकिन मैन्युुपैâक्चरर्स पैसा कमाते हैं। सरकार पहले ही स्टेंट जैसी मेडिकल डिवाइस की कीमतों पर वैâप लगा चुकी है और अब मैन्युपैâक्चरर्स की कीमतों पर वैâप लगाने की जरूरत है।
इन पर पड़ रहा असर
ठाणे के केमिस्ट महावीर जैन ने बताया कि कीमतें बढ़ने का असर उन पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, जो हर महीने ५ से १० हजार रुपए की दवाएं खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग वही दवाएं खरीदते हैं, जो डॉक्टर बताते हैं। उनका सुझाव है कि लोगों को राहत देने के लिए डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखना चाहिए। केमिस्ट नितिन जाधव का कहना है कि आमतौर पर लोग डॉक्टरों की प्रिस्क्राइब दवाएं ही खरीदते हैं। ऐसे में यदि डॉक्टर जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करेंगे तो ये लोगों के फायदे का सौदा होगा।

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