मुख्यपृष्ठस्तंभअसुरक्षित सरकारें, असुरक्षित लोग

असुरक्षित सरकारें, असुरक्षित लोग

अरुण कुमार गुप्ता
आए दिन ट्रेन हादसे, एयरपोर्ट हादसे, पुल हादसे, आतंकी हमले, भगदड़ में मौतें, पेपर लीक, पेपर रद्द, अनकंट्रोल महंगाई, बाढ़ का खतरा, असुरक्षित सरकारें, असुरक्षित लोग, मोदी जी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते ही मानो जैसे देश को असुरक्षा के बादलों ने घेर लिया है। चीन ने हमारी कैलाश मानसरोवर यात्रा रोक दी वो अलग। कहां हैं लाल आंखें। कहां है सत्ता का इकबाल। यूपी से एक मुख्यमंत्री को हटाने के अलावा भी दूसरे काम हैं, ना कोई हटाया जा रहा है, ना कोई हटाया जाएगा, कहकर इस किस्से को भी खत्म कीजिए। आप तो क्लीन चिट देने में माहिर हैं। आप चीन को क्लीन चिट दे सकते हैं तो यूपी की इस नौटंकी को भी क्लीन चिट देकर दूर हो जाइए। तमाशा चल रहा है। सीएम की मीटिंग में डिप्टी सीएम नहीं जा रहा है। डिप्टी सीएम यूपी से गायब रह रहा है। देवरानी जेठानी की तरह अप्रत्यक्ष लड़ाई चल रही है। हिम्मत है तो मर्दों की तरह आपस में मुकाबला करो। जनता का समय और सरकार की शक्ति को बर्बाद मत करो। उत्तर प्रदेश किसी एक सीएम या किसी एक डिप्टी सीएम की जागीर नहीं है। कुर्सी है तुम्हारा ये जनाजा तो नहीं है। कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।
अब बात करते हैं रेल दुर्घटनाओं की तो पिछले साल ओडिशा रेल हादसे के बाद से सुरक्षा को लेकर चिंता जस की तस बनी हुई है। इस हादसे में करीब २९० लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, ओडिशा रेल हादसे के बाद भी कई रेल दुर्घटनाएं देखने को मिलीं। मंगलवार को झारखंड के बाराबाम्बो में हावड़ा-मुंबई मेल की १८ बोगियां पटरी से उतर गईं। इस हादसे में दो की मौत हो गई, जबकि २० से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं। पिछले छह हफ्तों में कई ट्रेन पटरी से उतर गईं और तीन यात्री ट्रेन दुर्घटनाएं हुर्इं, जिसमें १७ लोगों की मौत हो चुकी है। तीन मुख्य ट्रेन हादसों पर गौर किया जाए तो ये सारी दुर्घटनाएं इस साल जून से जुलाई के बीच घटीं, जिसमें १७ की मौत और १०० से अधिक घायल हुए। पिछले महीने १७ जून को कंचनजंगा एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें ११ लोगों की मौत और ६० से अधिक घायल हुए थे। अंत में यही कह सकते हैं कि रेल यात्रियों की जान की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा। यदि कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते?

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