• एक हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के जीवन में अंधेरा
• जर्जर, निजी भवनों और समाज मंदिर में संचालित हो रहे हैं केंद्र
योगेंद्र सिंह ठाकुर
ठाणे से अलग होकर पालघर जिले को बने ९ साल बीत चुके हैं, लेकिन यहां के कई इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत नहीं बदली है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की सेहत सुधारने से लेकर उन्हें प्ले ग्रुप मॉड्यूल स्कूल पूर्व शिक्षा समेत अन्य कई सुविधाएं देने के दावे भले ही सरकार कर रही हो, लेकिन इन दावों को हकीकत में बदलने के लिए जो भवन चाहिए, वह भी इनके पास खुद का नहीं है। नौनिहाल जर्जर भवनों में बैठने को मजबूर हैं। कई इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्र का खुद का भवन नहीं है। निजी कमरे, अन्य सरकारी भवनों या प्राथमिक स्कूलों और समाज मंदिर में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इससे आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चे इधर-उधर घूमते रहते हैं। आदिवासी इलाकों में कुपोषण हटाने से लेकर अन्य सुविधाएं भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही इन बच्चों तक पहुंचनी है। ऐसे में अब सवाल खड़ा हो रहा है कि बिना भवन के बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा?
९ साल बाद भी वंचित
पालघर जिला स्थापना के ९ साल बाद भी शिक्षा, कुपोषण, स्वास्थ्य, सड़कों व पानी की कमी जैसी समस्याएं व्याप्त हैं। जिले में ३,१८२ आंगनबाड़ी केंद्र हैं, लेकिन इसके लिए ३० प्रतिशत से ज्यादा इस जिले की अपनी इमारतें नहीं हैं। कुछ निजी प्रांगण हैं। भवन, कुछ प्राथमिक विद्यालयों तथा सामुदायिक मंदिरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं।
उम्मीदों पर पानी फिरा
उल्लेखनीय है कि कई वर्षों के संघर्ष के बाद तत्कालीन सरकार ने जनता के आगे झुकते हुए शहरी-समुद्री और पहाड़ी इलाकों में पैâले ठाणे जिले को १ अगस्त २०१४ को बांट दिया गया और पालघर एक नया जिला बना। नए जिले में शामिल आठ तालुकों में से वाडा, विक्रमगड, जव्हार, मोखाडा, तलासरी, डहाणू, पालघर में जनजातीय आबादी के बहुमत के कारण पालघर महाराष्ट्र के आदिवासी जिले के रूप में जाना जाने लगा। आदिवासी जिला होने के कारण लोगों को उम्मीद थी कि इस जिले में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की बाढ़ आ जाएगी। लेकिन आज ९ साल बाद भी विकास योजनाओं का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंचा है। यहां के ग्रामीणों को आज भी कुपोषण, शिक्षकों की कमी, सड़कों की दुर्वव्यवस्था, स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
मासूमों को अक्षर ज्ञान देने के साथ उनको कुपोषण से बचाने के लिए जिले में कुल ३,१८२ आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं। इनमें नियमित २,५७८ आंगनबाड़ी केंद्र और ६०४ मिनी आंगनबाड़ी केंद्र शामिल हैं। जिले में २,०४५ स्थानों पर जिला परिषद के पास केंद्रों के लिए अपना भवन है, जबकि १,१३७ केंद्रों के पास अपना भवन तक नहीं है। जिले के कई स्कूल भवनों की हालत खराब है। कई स्कूल भवन मरम्मत की बाट जोह रहे हैं। स्कूल भवन में २६८ आंगनबाड़ी केंद्र हैं। यहां कई जगहों पर प्राथमिक स्कूल के छात्र और आंगनबाड़ी के बच्चे एक साथ पढ़ाई करते देखे जाते हैं। २०० केंद्र समाज मंदिरों और ६६९ केंद्र निजी भवनों में चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझाने में आंगनबाड़ी केंद्र को सबसे कारगर माना जाता है, लेकिन सरकार इस अहम मुद्दे को भी नजरअंदाज कर रही है।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग के माध्यम से पालघर जिले में कुपोषण उन्मूलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रणाली को सरकार द्वारा उपेक्षित किया जा रहा है। जिले में एक हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। यही वजह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मदद करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह बेहद गंभीर मामला है।
– विकास मोरे, शिवसेना
(उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जिलाप्रमुख
आंगनबाड़ी भवनों की संख्या
• विक्रमगढ़ तालुका में ३०७ केंद्र हैं, जिनमें से २२३ के पास अपनी इमारतें हैं, जबकि ५० निजी हैं, १९ प्राथमिक विद्यालयों में हैं और १५ सार्वजनिक स्थानों पर हैं।
• तलासरी तालुका की २४८ आंगनबाड़ी केंद्रों में से १८० केंद्र स्वयं के भवन में, ५० केंद्र निजी भवनों में, ५ प्राथमिक विद्यालय और दस सार्वजनिक स्थानों पर चल रहे हैं।
• जव्हार तालुका में ३४४ आंगनबाड़ी केंद्रों में से २४२ अपने भवनों में, ६५ निजी भवनों में, ८ प्राथमिक विद्यालयों में और २२ सार्वजनिक स्थानों पर संचालित हो रहे हैं।
• डहाणू तालुका में कुल ६३९ आंगनबाड़ी केंद्रों में से ३५७ अपने स्वयं के भवन में हैं और १९२ निजी भवनों में संचालित हो रहे हैं। ४१ प्राथमिक विद्यालयों और ४९ सार्वजनिक स्थानों पर चल रहे हैं।
• मोखाडा तालुका में २२९ आंगनबाड़ी केंद्रों में से १४० स्वयं के भवनों में, १९ निजी भवनों में, ३ प्राथमिक विद्यालयों में और सात सार्वजनिक स्थानों पर संचालित हो रहे हैं।
• वाडा तालुका में ४१० आंगनबाड़ी केंद्रों में से २९४ स्वयं के भवन में, ५२ निजी भवन में, ६४ प्राथमिक विद्यालयों में और १९ समाज मंदिरों सहित निजी स्थानों पर चालू हैं।
• वसई तालुका की ३८९ आंगनबाड़ी केंद्रों में से १५३ स्वयं के भवनों में, १२२ निजी भवनों में, ६७ प्राथमिक विद्यालयों में और ४७ सार्वजनिक स्थानों पर केंद्र चल रहे हैं।
• पालघर तालुका की ६१६ आंगनबाड़ी केंद्रों में से ४५६ स्वयं के भवनों में, ५३ निजी भवनों में, ५७ प्राथमिक विद्यालयों में और ५० केंद्र सार्वजनिक स्थानों पर संचालित किए जा रहे हैं।