एसपी यादव
३,०७७ फर्जी कंपनियां बनाकर हुआ १५ हजार करोड़ रुपए का घोटाला
अनजाने में ही सरकार को चूना लगानेवाले गैंग का हिस्सा बन रहे थे गरीब
देश में १ जुलाई २०१७ को जीएसटी लागू किया गया, तब से अब तक लगभग तीन लाख करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी हो चुकी है। जीएसटी चोरी के अब तक ५७,१११ केस दर्ज हो चुके हैं और इस मामले में १,४०२ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन इस साल १ जून को जीएसटी चोरी का एक ऐसा मामला सामने आया, जो अब तक की जांच-पड़ताल में देश का सबसे बड़ा जीएसटी घोटाला साबित हो रहा है। १९ जुलाई तक इस मामले में १८ जालसाजों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पता चला है कि इन जालसाजों ने ३,०७७ फर्जी कंपनियां बनाकर १५ हजार करोड़ रुपए का जीएसटी घोटाला किया है। इसमें सबसे ज्यादा डरानेवाली बात यह सामने आई है कि फर्जी कंपनियां बनाने के लिए इन्होंने गरीबों के पैन कार्ड का इस्तेमाल किया। आम आदमी सोच भी नहीं सकता कि उसके पैन कार्ड से सरकार को अरबों का चूना लगाया जा सकता है। ऐसे में जरूरत है अपना पैन कार्ड संभालकर रखने की, उसके प्रति सजग रहने की, नहीं तो आपका पैन कार्ड आपको पेन दे सकता है।
कैसे खुली पोल?
इस साल मई में दिल्ली के एक पत्रकार को उसके सीए ने बताया कि किसी ने पत्रकार के पैन कार्ड का इस्तेमाल कर मार्च में पंजाब के लुधियाना में और अप्रैल में महाराष्ट्र के सोलापुर में ‘टैम इंटरप्राइजेज’ के नाम से दो फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया है। लुधियाना की कंपनी से बच्चों के कपड़े और सोलापुर की कंपनी से खिलौनों का कारोबार दिखाया गया है। जाहिर है टैक्स-नोटिस मिलने के बाद सीए को इसकी जानकारी हुई, तब पत्रकार ने पुलिस और जीएसटी विभाग में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
जालसाजों ने दो तरह के गैंग बना रखे थे
मामले की पड़ताल करने पर पुलिस ने पाया कि जालसाजों ने दो तरह के गैंग बना रखे थे। पहला गैंग अशिक्षित, गरीब, बेरोजगार और नशेड़ी लोगों को पैसे का लालच देकर उनके आधार कार्ड में अपने फर्जी सिम कार्डवाले मोबाइल नंबर अपडेट करवा देता था। जस्ट डायल पर मौजूद डेटा बेचनेवालों से थोक में पैन कार्ड डेटा खरीदकर, इंटरनेट की मदद से फर्जी रेंट एग्रीमेंट और फर्जी बिजली बिल बनाकर फर्जी कंपनियां रजिस्टर करा लेता था।
अब तक ३,०७७ फर्जी कंपनियां बनाई
एक फर्जी कंपनी बनाने के लिए इस पहले गैंग को १० हजार रुपए मिलते थे। इस गैंग ने अब तक ३,०७७ फर्जी कंपनियां बनाई हैं। दूसरा गैंग ८०-९० हजार में पहले गैंग से फर्जी कंपनी खरीद कर फर्जी बिल बनाकर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) चोरी करता था और मार्वेâट से डिमांड आने पर अपनी फर्जी फर्म को बेच भी देता था।
एक कंपनी से हर महीने तीन-चार करोड़ का खेल
दूसरा गैंग यही खेल करता था और बिना किसी कारोबार के फर्जी बिल बनाकर आईटीसी लेता था। जीएसटी विभाग यह नहीं देखता कि दो लोगों के बीच सचमुच में कोई सौदा हुआ है या नहीं। मतलब साफ है कि इन फर्जी कंपनियों से कोई खरीद-फरोख्त नहीं होती थी। बस बिलों का आदान-प्रदान कर सरकार को चूना लगाया जाता था। मोटे तौर पर एक फर्म से हर महीने ३-४ करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाकर आईटीसी रिफंड लिया जाता था।
मुंबई का टैक्सी ड्राइवर गिरफ्तार
नोएडा के एडिशनल डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने मीडिया को बताया कि गहन छानबीन के दौरान दिल्ली में मुंबई के एक टैक्सी ड्राइवर यासीन को पकड़ा गया, जो बिजनेस रजिस्ट्रेशन सर्विस का काम भी करता था। यासीन दिल्ली के पीतमपुरा में रहनेवाले जीएसटी चोर गैंग के सरगना दीपक मोरजानी (४८) के संपर्क में था। दिल्ली के एक कॉर्पोरेट ऑफिस में काम करनेवाला दीपक अपनी पत्नी विनीता के साथ मिलकर इस गैंग को चला रहा था। नोएडा पुलिस ने दीपक, विनीता और यासीन के साथ गैंग के आकाश, विशाल, राजीव, अतुल और अश्विनी सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया। इनसे २४ कंप्यूटर, चार लैपटॉप, ११८ फर्जी आधार कार्ड, १४० पैन कार्ड और १२ लाख रुपए से ज्यादा कैश बरामद किया।
१५,३०० करोड़ रुपए के फर्जी बिल
इस गैंग की पोल खुलने के बाद जीएसटी अधिकारियों ने अब तक २,६४५ करोड़ रुपए का फर्जी आइटीसी प्रâीज किया है, जो कि १५,३०० करोड़ रुपए के फर्जी बिलों के जरिए जीएसटी लेजर में दर्ज किया गया था। जांच के दौरान १,९०० से ज्यादा कंपनियों के १,४०० से ज्यादा बैंक खाते प्रâीज किए गए हैं और इनमें ७ करोड़ रुपए की रकम अभी जमा है। इस मामले में अब तक १८ लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने दूसरे गैंग के चार ठगों को गिरफ्तार किया है, जबकि गैंग के सरगना अरिजित गोयल और अर्चित के साथ ही प्रदीप गोयल, मयूर उर्फ मणि नागपाल, चारु नागपाल, दीपक नागपाल फरार हैं।