• बोईसर और आस-पास के इलाकों की जनसंख्या बढ़ी लेकिन सुविधाएं नदारद
• कई सालों से नगरपालिका बनाने की हो रही मांग
योगेंद्र सिंह ठाकुर
पालघर जिले के बोईसर-तारापुर इलाके में एशिया का नामचीन औद्योगिक क्षेत्र है। विशाल औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण बोईसर और आस-पास के इलाके की जनसंख्या लाखों में है, जो लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं के मामले में आज भी ये इलाका का पिछड़ा हुआ है। बोईसर आज भी हॉस्पिटल, सड़क, गटरलाइन, डंपिंग ग्राउंड, सार्वजनिक गार्डन जैसी तमाम मूलभूत सुविधाओं से कोसोें दूर है। बोईसर और आस-पास की ग्रामपंचायतों को मिलाकर नगरपालिका बनाने की मांग ने अब जोर पकड़ लिया है। आबादी से लेकर आय तक का गुणा भाग करें तो सभी दृष्टि से बोईसर का हक बनता है कि उसे नगरपालिका का हक मिले। बोईसर की भूमि ने कई राजनीतिक धुरंधर भी दिए पर सत्ता व राजनीति के इस शतरंजी खेल में शहर को कुछ खास हासिल नहीं हो पाया।
पिछड़े इलाके में पहचान
बोईसर तारापुर का औद्योगिक इलाका सरकार के लिए सोने के अंडे देने की मुर्गी से कम नहीं है। सालाना अरबों रुपए की जीएसटी देने वाला औद्योगिक हब है। इसके बावजूद यहां के कई इलाकों में अप्रैल से पेयजल की समस्या शुरू हो जाती है। यहां एमआईडीसी में टाटा, जिंदल, विराज, बॉम्बे रेयॉन, सियारामस, लूपिन, वाडीलाल के अलावा देश की ब्रांडेड कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन आज भी बोईसर और आस-पास के इलाकों की पहचान एक पिछड़े हुए इलाको में होती है। यहां पर मुंबई-अमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर पर चलने वाली बुलेट ट्रेन का भी स्टॉपेज प्रस्तावित है। कुछ किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे ४८ से शहर जुड़ा हुआ है व महाराष्ट्र का बड़ा फिशिंग पोर्ट सातपाटी यहां से २० किलोमीटर दूरी पर है।
डंपिंग ग्राउंड की नहीं है व्यवस्था
लाखों लोग भीषण दुर्गंध और बढ़ते प्रदूषण में जीवन जीने को मजबूर हैं। ऐसे में बोईसर और आस पास की ग्राम पंचायतों में डंपिंग ग्राउंड की व्यवस्था न होने से यहां से निकला कचरा कई बार रोड पर डाले जाने से सड़क किनारे कचरे के अंबार लग जाते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि डंपिंग ग्राउंड के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
नगरपालिका बनने से क्षेत्र को क्या होगा फायदा?
-नगरपालिका होने पर कस्बे में सीवरेज लाइन, सड़क आदि जैसा मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था हो सकेगी।
-अग्निशमन वाहन मुहैया हो सकेगा। ऐसे में क्षेत्र में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।
-यहां गायनिक, सर्जन इत्यादि चिकित्सकों के पद सृजित होने पर मरीजों को उचित चिकित्सा सुविधा मिल पाएगी।
-बाजारों, गलियों में सफाई व रोशनी की सुविधा सुदृढ़ होगी।
-नगरपालिका बनने से यातायात पुलिसकर्मी की कमी दूर होगी। इससे नगर की यातायात व्यवस्था सुधरेगी।
सरकार और जनप्रतिनिधियों ने बोईसर को छोड़ा लावारिस
सामाजिक कार्यकर्ता कृपाल रावत कहते हैं कि बोईसर और आस-पास के इलाकों के विकास के लिहाज से नगरपालिका का होना जरूरी है। लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधियों ने शहर को लावारिस छोड़ दिया है। बोईसर में ग्राम पंचायत होने के चलते विकास कार्य आवश्यकता के अनुरूप नहीं हो पा रहे हैं। अब आगे का विकास नगरपालिका से ही संभव है। वर्तमान में ग्राम पंचाायत को विकास के लिए जो राशि सालाना मिलती है, वो राशि नगरपालिका बनने पर कई गुना बढ़ जाएगी। इससे बोईसर के विकास की गति काफी बढ़ जाएगी। जिससे शहरवासियों को जहां मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी, वहीं शहर का कायाकल्प भी हो जाएगा।
वादे और अश्वासन ही मिले
बोईसर, सरावली, खेरापाडा, बेटेगांव, सालवड पास्थल जैसी ग्राम ग्रामपंचायतों की आबादी करीब दो लाख होगी। इसलिए इन ग्राम पंचायतों को मिलाकर इसे नगरपालिका/नगर परिषद का दर्जा देने की मांग बीते कई वर्षों से हो रही है। लेकिन यहां के निवासियों को अब तक सिर्फ जनप्रतिनिधियों से वादे और आश्वाशन ही मिले हैं।