मुख्यपृष्ठस्तंभप्रेरणादायक यात्रा : कला के पारखी व संरक्षक हैं सोलंकी

प्रेरणादायक यात्रा : कला के पारखी व संरक्षक हैं सोलंकी

संदीप पांडेय
राजस्थान के जालोर जिले के समूजा गांव में जन्मे मोहनलाल सोलंकी आज मुंबई के कोलाबा में कला के पारखी और संरक्षक के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय आधुनिक कला को प्रोत्साहन देने और उभरते कलाकारों को एक सशक्त मंच प्रदान करने में उनका योगदान अद्वितीय है। समाजसेवा की भावना से प्रेरित मोहनलाल सोलंकी ने पिछले तीन दशकों से न केवल कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया है, बल्कि उन्हें कला जगत में एक पहचान दिलाने का काम भी किया है। उनकी पहल ‘किस्मत आर्ट गैलरी’ आज भारतीय कला प्रेमियों के लिए एक विशेष स्थान बन चुकी है।
मोहनलाल सोलंकी का मानना है कि कला केवल कलाकार की प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति का भी प्रतिबिंब है। वे कहते हैं, ‘किसी भी कलाकार का सफर उसके रेखाचित्रों से शुरू होता है। यही रेखाचित्र उसकी कल्पना, संघर्ष और रचनात्मकता के बीज होते हैं। इन प्रारंभिक कृतियों को पहचान दिलाना हमारा मुख्य उद्देश्य है।’ यही सोच उनकी आर्ट गैलरी के पीछे की प्रेरणा है। गैलरी में आयोजित मौजूदा प्रदर्शनी इस दृष्टिकोण का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां भारतीय आधुनिक कला के बड़े नामों के रेखाचित्रों के साथ-साथ उभरते कलाकारों की शुरुआती कृतियां भी प्रदर्शित की जाती हैं। आर्ट गैलरी में न केवल रेखाचित्र और पेंटिंग्स का प्रदर्शन होता है, बल्कि मूर्तिकला और अन्य कलात्मक माध्यमों को भी स्थान दिया जाता है। यह गैलरी कलाकारों के लिए एक ऐसा जंक्शन है, जहां वे अपने विचारों और कृतियों को साझा कर सकते हैं। प्रदर्शनी में ऑयल पेंटिंग्स, एक्रेलिक पेंटिंग्स और स्कल्पचर्स को एक अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया गया है, जिससे हर कृति एक नई कहानी कहती है।
मोहनलाल सोलंकी के नेतृत्व में गैलरी ने न केवल कला के पारंपरिक रूपों को संरक्षित किया है, बल्कि उभरते कलाकारों को प्रोत्साहन देकर उन्हें अपनी कला को पहचान दिलाने का अवसर भी प्रदान किया है। उनका योगदान केवल कला तक सीमित नहीं है, उन्होंने उभरते कलाकारों को उनके काम के लिए उचित मंच और प्रोत्साहन देकर उनके सफर को आसान बनाया है। उनकी यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि कला केवल एक विलासिता नहीं रहे, बल्कि समाज में बदलाव और संवाद का माध्यम बने। मोहनलाल सोलंकी का यह प्रयास न केवल मुंबई, बल्कि पूरे भारत के कला प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कला के प्रति उनकी गहरी समझ और समर्पण ने उन्हें कला के संरक्षक के रूप में स्थापित किया है।

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