-बेधड़क आते-जाते हैं असामाजिक तत्व
खाली पड़ी जमीनों पर हो रहा है अतिक्रमण
अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर कैंप नंबर तीन में राज्य सरकार द्वारा संचालित उल्हासनगर मध्यवर्ती अस्पताल में प्रशासन की अनदेखी के चलते घुसपैठ जैसी स्थिति पैदा हो रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। अस्पताल की खाली पड़ी जमीनों पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह से अतिक्रमण हो रहा है, उसे देखकर यही लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब पूरा अस्पताल भू-माफियाओं के कब्जे में होगा।
मकानों में चल रहे हैं कारखाने
अस्पताल में काम करनेवाले कर्मियों व रहिवासी डॉक्टर को रहने के लिए बैरकनुमा मकान दिया गया है। जो कर्मी या डॉक्टर सेवानिवृत्त हो गए हैं, वे सरकारी मकान को खाली नहीं करते हैं। यही नहीं हैरान करनेवाली बात यह है कि सरकारी मकान को कई लोगो ने किराए पर दे दिया है तो कई लोगों ने थ्री फेज की लाइट लगाकर घर में ही कंपनी चला रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कई कर्मियों ने अस्पताल के बैरक हाउस का टैक्स पाउती, लाइट बिल तक अपने नाम से बनवा लिया है।
सुरक्षाकर्मियों की कमी
अस्पताल में आने-जाने के लिए कई रास्ते हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों की मानें तो अस्पताल के अंदर नशेड़ी, जुआरी बेधड़क आते-जाते देखे जा सकते हैं। सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण सभी रास्तों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। पार्किंग से वाहन चोरी की भी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। अस्पताल में आए दिन बिजली के उपकरणों के खराबी की शिकायत आती रहती है। अस्पताल के ब्लड बैंक की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। अस्पताल में डॉक्टर के साथ-साथ दवाइयों और आधुनिक उपकरणों की भी कमी है। सबसे अजीबोगरीब बात यह है कि अस्पताल की प्रशासकीय व संचालन, देखरेख कमेटी सक्रिय नहीं है, अन्यथा अस्पताल की इतनी दयनीय हालत नहीं होती।