मुख्यपृष्ठस्तंभमध्यांतर : मतपत्र से चुनाव कराने का रास्ता ढूंढ़ रही है कांग्रेस!

मध्यांतर : मतपत्र से चुनाव कराने का रास्ता ढूंढ़ रही है कांग्रेस!

प्रमोद भार्गव
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

 

मध्य प्रदेश के राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो भाजपा को कारगर एवं करारी चुनौती देने का तार्किक मार्ग तलाशते रहे हैं। इस नाते उन्होंने सही दिशा में सार्थक पहल करने की ओर कदम उठाया है। सिंह ने कहा है कि वे ४०० लोगों से उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कराने का प्रयत्न कर रहे हैं, ताकि राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में चुनाव ईवीएम मशीन की बजाय मतपत्र से कराया जाना संभव हो सके। सिंह ने यह बात सुसनेर के कचनारिया गांव में एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करने के दौरान लोगों से सवाल-जवाब की शैली में कही। उन्होंने जनता से पूछा कि वे वैâसे वोट देना चाहते हैं, ईवीएम से या मतपत्र से? भीड़ ने मतपत्र से चुनाव कराने के नारे लगाते हुए उनके प्रश्न का उत्तर दिया। तब सिंह ने कहा कि यदि इस क्षेत्र में ४०० उम्मीदवार खड़े हो जाएं, तब मतपत्र से चुनाव संभव हो सकता है। मैं इसकी तैयारी में लगा हूं। हालांकि, इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मतपत्र से चुनाव कराने के प्रबंध में लगे हुए हैं।
देश का लगभग संपूर्ण विपक्ष ईवीएम से चुनाव कराने का विरोध कर रहा है। क्योंकि उसे आशंका है कि इसके सॉफ्टवेयर में कुछ ऐसी व्यवस्था कर दी जाती है, जिसके चलते कांग्रेस या अन्य दल के प्रत्याशी को दिया गया वोट भाजपा उम्मीदवार के खाते में चला जाता है। ईवीएम के इस्तेमाल के समय से ही इसका विरोध हो रहा है। हालांकि, कुछ सीमित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में तो हेराफेरी का प्रबंध करना संभव है, लेकिन १० लाख से भी ज्यादा मशीनों में यह प्रबंध हो जाए, यह भी मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के लिए कोई मुश्किल काम नहीं है। ऐसे में एक तार्किक उपाय दिग्विजय सिंह ने सुझाया है। इस पर ५० संसदीय क्षेत्रों में अमल हो तो यह परीक्षण किया जा सकता है कि वाकई सच्चाई क्या है? लेकिन वर्तमान चुनावी व्यवस्था में इस सुझाव पर अमल अत्यंत कठिन है।
दिग्विजय सिंह का कहना है कि मैं राजगढ़ से ४०० उम्मीदवारों के नामांकन पत्र दाखिल कराने की तैयारी में लगा हूं। फिलहाल मतपत्र से चुनाव कराने का एकमात्र यही रास्ता है। दरअसल, वर्तमान में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को २५,००० रुपए की जमानत राशि और आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को १२,५०० रुपए की राशि जमा करनी होती है। साथ ही अपनी चल-अचल संपत्ति और यदि कोई आपराधिक प्रकरण चल रहे हों तो उनकी भी जानकारी आवेदन के साथ संलग्न करनी जरूरी है। इनको एकत्रित करने में समय और धन खर्च होते हैं। यदि सिंह ४०० नामांकन भरवा देते हैं तो राजगढ़ में मतपत्र से चुनाव कराना आयोग की वैधानिक मजबूरी हो जाएगी। प्रत्येक ईवीएम में प्रति निर्वाचन क्षेत्र में नोटा सहित अधिकतम ३८४ उम्मीदवार हो सकते हैं। एक बैलेट यूनिट में नोटा सहित अधिकतम १६ उम्मीदवारों के नाम व चुनाव चिह्न दर्ज हो सकते हैं और ऐसी २४ इकाइयों को एक साथ नियंत्रण और प्रक्रिया इकाई से जोड़ा जा सकता है।
दिग्विजय सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में ‘वादा निभाओ’ पदयात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा में वे भाजपा द्वारा घोषणा-पत्र में किए वादों में से जो वादे पूरे नहीं हुए, उन्हें मतदाताओं के सामने तार्किक ढंग से उठा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि भाजपा ने लाडली बहनों को ३,००० रुपए देने और रसोई गैस सिलिंडर ४५० रुपए में देने का वादा किया है, चार माह में ये वादे क्यों पूरे नहीं हुए? साथ ही सिंह चुनावों में ईवीएम से चुनाव कराने का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। भाजपा की जीत के लिए सिंह ईवीएम को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसी सिलसिले में छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के भाजपा उपाध्यक्ष राजेंद्र पाध्ये ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम को बाधित करने के कदम के बारे में बोलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। बघेल राजनांदगांव से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। पत्र में भाजपा नेता ने बघेल पर पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहने का आरोप लगाया है कि यदि ३८४ से अधिक उम्मीदवार एक सीट से चुनाव लड़ते हैं तो निर्वाचन आयोग मतपत्र के माध्यम से चुनाव कराने के लिए बाध्य हो जाएगा। शिकायतकर्ता ने इसे निर्वाचन आयोग के खिलाफ अनुचित बताते हुए आचार संहिता का उल्लंघन माना है। दोनों पूर्व मुख्यमंत्री अपने मकसद में सफल हो पाते हैं या नहीं, यह तो नामांकन दाखिल प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद पता चलेगा, लेकिन उन्होंने ईवीएम के विरोध का लोकतांत्रिक गांधीवादी उपाय पर अमल करने की कोशिश जरूर की है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने इस बार भाजपा के उम्मीदवारों पर शिकंजा कसने की कवायद की है। इसी क्रम में दिग्विजय सिंह को ३३ साल बाद राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है। यहां से भाजपा ने वर्तमान सांसद रोडमल नागर को तीसरी बार जंग में उतारा है, वे १० साल से सांसद हैं। ऐसे में उनके विरुद्ध जनता में एंटी इन्कंबैंसी भी दिखाई दे रही है। सिंह ने इस क्षेत्र में न केवल अभूतपूर्व विकास कार्य किए हैं, बल्कि राघोगढ़ में बड़ा खाद कारखाना एनएफएल और एलपीजी रसोई गैस के भरने का कारखाना भी लगवाया है। सिंह जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अपने १० वर्षीय कार्यकाल में सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के भी कार्य किए थे। इस कारण उनका पलड़ा नागर पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। ७७ वर्षीय सिंह बिना कोई समय गंवाए समूचे संसदीय क्षेत्र में ८ दिवसीय पद यात्रा भी कर रहे हैं। यह यात्रा उन्हें सीधे मतदाता से रू-बरू कराकर फलदायी साबित हो सकती है। इस यात्रा के दौरान सिंह नुक्कड़ सभाएं भी कर रहे हैं। इसी संसदीय क्षेत्र में उनका गृहनगर राघोगढ़ भी आता है। यहां से उनके पुत्र जयवर्धन सिंह विधायक हैं। बीनागंज, चाचैड़ा विधानसभा क्षेत्र भी राजगढ़ का हिस्सा है, जो उनके गृह जिला गुना में आता है। सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह इसी सीट से सांसद रह चुके हैं। उनके भतीजे प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर से विधायक रह चुके हैं। कुल मिलाकर दिग्विजय सिंह की पृष्ठभूमि इस क्षेत्र में उनके अनुकूल है। यदि मोदी लहर और राम मंदिर का प्रभाव दिग्विजय सिंह के प्रत्याशी होने के कारण अप्रभावी रहता है, तो दिग्विजय सिंह की जीत संभव है। इस समय प्रदेश में कांग्रेस की जीत की उम्मीद की जा रही है।
(लेखक, वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं।)

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