मुख्यपृष्ठस्तंभमध्यांतर : आदिवासियों पर बढ़ रहे अत्याचार!

मध्यांतर : आदिवासियों पर बढ़ रहे अत्याचार!

प्रमोद भार्गव
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में आदिवासी छात्र देपाल गिणावा के साथ एक अत्यंत शर्मनाक हरकत का वीडियो सामने आया है। सड़क से गुजर रहे एक पेशेवर बदमाश रितेश राजपूत को सही बाइक चलाने की नसीहत देना आदिवासी युवक देपाल को महंगा पड़ गया। रितेश देपाल को सबक सिखाने की सोच ही रहा था कि इतने में ही उसका मित्र मनीष एवं उसकी महिला दोस्त यहीं से बाइक से गुजरे। रितेश का किसी अनजान व्यक्ति के साथ झगड़ा देख रुक गए। फिर क्या था। उन तीनों ने मिलकर देपाल को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और उसके ऊपर बाइक चढ़ाने की भी कोशिश की। इतने पर भी संतोष नहीं हुआ तो देपाल से अपने जूतों के फीते भी बंधवाए। लाचार हाथ जोड़कर नसीहत देने की माफी मांगता रहा। यह घटना इंदौर के व्यस्त क्षेत्र भंवरकुआं में घटी। किसी ने बीच-बचाव भी नहीं किया। देपाल पुलिस विभाग में सिपाही की भर्ती की कोचिंग ले रहा है।
घटना के बाद देपाल घटनास्थल से सीसीटीवी फुटेज लेकर थाने में पहुंचा तो पुलिस ने उसके साथ दुर्व्यवहार तो किया ही, मोबाइल से फुटेज भी डिलीट करवा दी। जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तो पुलिस ने देपाल पर स्टाफ सहित दबाव बनाया कि उसके साथ जो घटना हुई थी, उसमें पुलिस ने उचित कार्यवाही कर दी है, यह कहने को बाध्य किया और मामूली धाराओं में प्रकरण दर्ज कर पीड़ित से जाति के दस्तावेज मंगवाए। बाद में अधिकारियों तक मामला पहुंचा तो पुलिस ने इस मामले में अनुसूचित जाति जनजाति की धाराएं बढ़ा दीं, यह घटना १८ अगस्त सुबह ७.३० बजे भोलाराम उस्ताद मार्ग-भंवरकुआं पर घटी थी। बाद में जब आदिवासी संगठन जयस ने दबाव बनाया तो पुलिस ने आरोपी रितेश राजपूत और मयंक शर्मा को गिरफ्तार कर लिया, जबकि आरोपी महिला फरार है। देपाल भंवरकुआं के पास ही गणेश नगर में किराए के मकान में रहता है। पुलिस के अनुसार, रितेश पेशेवर अपराधी है। उस पर लूट, अवैध हथियार रखने, अवैध वसूली करने, गैर इरादतन हत्या करने समेत बलवा, तोड़-फोड़, मारपीट और अड़ीबाजी के ११ अपराध विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।
इसी किस्म का एक शर्मनाक कांड दो माह पहले गुना में सामने आया था। इस मामले में पीड़ित महेंद्र सिंह गांव में घूरा फेंकने का काम करता है। फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के सेनबोर्ड चौराहे पर सौदान सिंह, गुमान सिंह, ओमकार सिंह बंजारा ने उसका अपहरण कर लिया। उसके बाद राजस्थान के अटरू, झालावाड़ गांव ले जाकर बदन बंजारा, छोटू, रमेश, तोफान, प्रेम, गेंदा, कालूराम, गुलाब और महिला मथुरीबाई ने मारपीट की। मारपीट के बाद पेशाब पिलाई गई, जूतों की माला पहनाकर सिर मुंडवा दिया गया। मुंह पर कालिख पोतकर घाघरा पहनाया गया और गांव में घुमाया गया। पीड़ित युवक का कहना था कि इस घटना से वह इतना दुखी हो गया था कि यदि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती तो वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता।
पीड़ित महेंद्र सिंह के साथ अमानवीयता का वीडियो वायरल होते ही हड़कंप मच गया। मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने जब इस मामले को लेकर मोहन यादव सरकार पर हमला बोला तब कहीं जाकर पुलिस और प्रशासन सक्रिय हुए। पटवारी ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि मोहन यादव जी पता नहीं आप कौन-से प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश में तो दोनों की ही उपस्थिति दिखाई नहीं देती। कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति में पहले प्रदेश के मुंह पर काला टीका लगाया, लेकिन अब तो लगता है पूरा मुंह ही काला कर दिया है। यदि गृह मंत्रालय नहीं संभाल पा रहे हैं, तो छोड़ क्यों नहीं देते? आपकी जिद जनता की जान लेने पर उतारू है।
अच्छा होता, इसे राष्ट्रीय विमर्श का विषय बनाया जाता? क्योंकि राजनीति से कहीं ब़ड़ा यह समाज का प्रश्न है। लेकिन जिस समाज को प्रश्न बनाकर इसका हल खोजने की जरूरत थी, वह वोट बैंक की देहरी पर आकर ध्वस्त हो गई। मध्य प्रदेश में एक आदिवासी के सिर पर पेशाब करने का मामला सामने आया था। उस समय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे। उन्होंने पीड़ित आदिवासी दशमत रावत को राज-प्रासाद में अतिथि बनाकर चरण पखारे, जल माथे पर लगाया। पुष्पहार पहनाया, शॉल और श्रीफल देकर आरती उतारी। बाद में साढ़े छह लाख रुपए भी दे दिए और भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के विधायक प्रतिनिधि की हेकड़ी निकालकर उसे जेल में तो डाला ही घर पर भी बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। प्रवेश शुक्ला ने दशमत के सिर पर पेशाब करने का नितांत घटिया काम किया था। प्रवेश ने निम्नतम घटना को अंजाम तक पहुंचाया। शराब के नशे के साथ सत्ता का नशा और उच्च जाति के अहंकार से जुड़े विकार भी इस घटना के कारकों में शामिल रहे थे। अतएव न केवल वह लघुशंका करता है, बल्कि दबंगता का प्रदर्शन करते हुए अपने मित्र से मोबाइल-वीडियो भी बनवाता है। हालांकि, यह प्रमाणित हो गया था कि वीडियो छह माह पुराना है, लेकिन इससे अपराध कम नहीं हो जाता। यही वीडियो एक ऐसा प्रमाण है, जो एक नहीं एक साथ दो घटनाओं का कारण बना था। दरअसल, प्रवेश ने अपने जिन विश्वसनीय मित्रों से वीडियो बनवाया था, उन्होंने ही धन के लालच में दोस्ती का भरोसा तोड़ दिया था। जब साथियों में मन-मुटाव हुआ तो मित्र प्रवेश को धन के लिए ब्लैकमेल करने लग गए। धन नहीं मिलने पर वीडियो वायरल कर दिया गया। वायरल होते ही मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों और मीडिया में हड़कंप मच गया। परिणामस्वरूप शिवराज ने पीड़ित को अपने निवास स्थल पर बुलाया और चरण पखारकर मामले को ठंडा कर दिया, लेकिन एक पीड़ित के प्रति वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज जैसी उदारता नहीं दिखा पा रहे हैं।
(लेखक, वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं।)

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