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मध्यांतर: फर्जी पत्र पर

मचा घमासान मध्यप्रदेश में एक ऐसे शिकायती आवेदन के कारण तहलका मच गया है, जिसे लिखने वाले कथित ज्ञानेंद्र अवस्थी का कोई अता-पता ही नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसके वायरल होने के बाद इसे फॉरवर्ड और साझा करने वाले कांग्रेस के नेताओं पर कई थानों में एफआईआर जरूर दर्ज हो गई हैं। इस आवेदन में ज्ञानेंद्र अवस्थी नाम के अज्ञात व्यक्ति पर भी प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। ‘लघु एवं मध्यम क्षेत्रीय संविदाकार संघ’ के लेटरहेड पर प्रदेश की भाजपा सरकार पर ५० प्रतिशत कमीशन वाली सरकार होने का आरोप लगाया है। पत्र के नीचे आवेदक के रूप में ज्ञानेंद्र अवस्थी का नाम लिखा है। यह पत्र उच्च न्यायालय ग्वालियर की खंडपीठ मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित किया गया है। यह पत्र मुख्य न्यायाधीश के पास पहुंचा है अथवा नहीं इसकी तो कोई जानकारी नहीं है, लेकिन वायरल होने के बाद प्रदेश की भाजपा में ऐसी खलबली मची कि हाय-तौबा की स्थिति उत्पन्न हो गई और इस पत्र को भाजपा की उज्ज्वल छवि धूमिल करने का पर्याय मान लिया गया। दरअसल कांग्रेस से मिल रही चुनौती से भाजपा बौखलाई हुई लग रही है।
दरअसल, इस पत्र के वायरल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव और उसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इसे ट्विट कर दिया, जिसके बाद प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के परिप्रेक्ष्य में कठघरे में दिखाई देने लगी। प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को किए गए ट्विट में लिखा, ‘मध्यप्रदेश में ठेकेदारों के संगठन ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की है कि प्रदेश में ५० प्रतिशत कमीशन देने पर ही भुगतान मिलता है। कर्नाटक में भ्रष्ट भाजपाई सरकार ४० प्रतिशत कमीशन की वसूली करती थी, मध्यप्रदेश में भाजपा भ्रष्टाचार का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर आगे निकल गई है। कर्नाटक की जनता ने ४० प्रतिशत की कमीशन वाली सरकार को बाहर किया, अब मध्यप्रदेश की जनता ५० प्रतिशत कमीशन वाली भाजपा सरकार को सत्ता से हटाएगी। इस ट्विट के जारी होते ही प्रदेश कांग्रेस को जैसे संजीवनी मिल गई। नतीजतन कांग्रेस ने इस पत्र और इसके संदर्भ को आधार बनाकर मध्यप्रदेश सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी।
बेचैन भाजपा को जबाव देना जरूरी था, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भोपाल में शनिवार को पत्रकारों के समक्ष कहा ‘कल कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में एक व्यूह रचना के तहत बड़ा झूठ बोला है। एक फर्जी पत्र जारी कर, तथाकथित किसी ठेकेदार और किसी ऐसोसिएशन के नाम से झूठा पत्र जारी कर दिया। जबकि मैं हमेशा से कहता आया हूं कि प्रदेश के अंदर मिस्टर बांटाधार दिग्विजय सिंह और मिस्टर करप्शन नाथ कमलनाथ झूठ बोलने की मशीन हैं। कल तो इन्होंने झूठ बोलने का रिकॉर्ड कायम कर दिया। केंद्रीय नेतृत्व में चाहे प्रियंका गांधी हो, या राहुल गांधी इनसे झूठे पत्र के आधार पर ट्विट कराया। यह कांग्रेस का वास्तविक चरित्र है। इस साइबर क्राइम के खिलाफ भाजपा कठोर प्रतिक्रिया देगी। प्रियंका गांधी को जबाव देना पड़ेगा कि यह पत्र कहां से आया और उन्होंने झूठे पत्र के आधार पर वैâसे देश को गुमराह किया। पहले आपके भाई से झूठ बुलवाकर उन्हें दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने झूठा साबित कर दिया, अब आपको भी झूठा साबित कर दिया। कांग्रेस नेतृत्व को जबाव देना पड़ेगा हम कानूनी कार्यवाही करेंगे।’
इसके बाद इस मामले में प्रियंका गांधी, कमलनाथ, जयराम रमेश और अरुण यादव समेत कई कांग्रेसी नेताओं पर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में एफआईआर दर्ज करा दी गई हैं। अन्य जिला मुख्यालयों पर भी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने आवेदन दिए हैं। ग्वालियर में भाजपा के जिला कार्यकारिणी के सदस्य पंकज पालीवाल ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि वायरल पत्र के आवेदक ज्ञानेंद्र अवस्थी के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कराया गया है। क्योंकि इस पत्र के जरिए व्यक्ति और संस्था को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी की गई है।
इस पत्र और इससे मचे घमासान ने ‘सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा‘ कहावत को चरितार्थ कर दिया है। इस पत्र में ज्ञानेंद्र अवस्थी ने ग्वालियर का पता दिया है, लेकिन पुलिस द्वारा की गई जांच में आरोपी का पत्र तो फर्जी पाया ही गया है, अवस्थी के पते और संस्था के बारे में भी कोई पुख्ता सबूत पुलिस को नहीं मिले हैं। यानी सब गोलमाल है। इस पत्र में बसंत विहार कॉलोनी ग्वालियर का पता दर्ज है। बसंत विहार के सेक्टर ए, बी, सी, डी में इस नाम की न कोई संस्था मिली और न ही व्यक्ति मिला। मध्य प्रदेश के लोक-निर्माण विभाग और नगर-निगम में भी इस नाम की कोई संस्था पंजीकृत नहीं है। अरुण यादव और अन्य शीर्ष कांग्रेसियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होने पर अरुण यादव ने ट्विट किया कि ‘जब कांग्रेस पार्टी के नेता अंग्रेजों की फांसियों से नहीं डरे तो उनके तलबे चाटने वाली विचारधारा की एफआईआर से भी नहीं डरने वाले। हमारे नेता राहुल गांधी जी कहते हैं, ‘डरो मत। इसके बाद लिखा है, ‘पहले लड़े थे गोरों से, अब लड़ेगें ५० फीसदी कमाrशन खोरों से।’
बहरहाल, पत्र और पत्र लिखने वाले ज्ञानेंद्र अवस्थी भले ही फर्जी और आभासी हों, लेकिन कमीशन को लेकर लड़ाई असली शुरू हो गई है। यह लड़ाई सोशल मीडिया पर तो दोनों दलों के बड़े नेता लड़ ही रहे हैं, जमीन पर भी धरना प्रदर्शन और ज्ञापनबाजी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, ‘भ्रम पैâलाया जा रहा है। लेटर में जो एड्रेस है, वो कहीं नहीं मिल रहा। आदमी है नहीं, संस्था का पता-लापता। चिट्ठी फर्जी। सूत न कपास, कांग्रेसियों में लट्ठम-लट्ठा। इधर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कह रहे हैं, ‘कांग्रेस मध्यप्रदेश में मुद्दाविहीन हो चुकी है। कांग्रेस ने पहले राहुल गांधी से झूठ बुलवाया। अब प्रियंका गांधी से झूठा ट्विट करवाया। प्रियंका जी आपने जो ट्विट किया है, उसके प्रमाण दो, अन्यथा हमारे पास कार्रवाई के सारे विकल्प खुले हैं।’ बहरहाल यह निराधार मामला विधानसभा चुनाव तक गर्म रहने वाला है।

प्रमोद भार्गव
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
(लेखक पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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