फिरोज खान
यमन की जेल में बंद केरल की नर्स पल-पल मौत के करीब जा रही है। मौत को अपनी आंखों के आगे मंडराते देख मानो नर्स निमिषा का शरीर लाश बन चुका है। यमन की अदालत ने यमन के नागरिक की हत्या के आरोप में केरल की नर्स निमिषा को फांसी की सजा सुनाई है। फांसी के लिए अब चंद दिन ही बचे हैं। ऐसी दर्दनाक स्थिति में फांसी की सजा का इंतजार करना निमिषा के लिए किसी भयावह स्थिति से कम नहीं है। मौत को आहिस्ता-आहिस्ता अपने करीब आता देख उसकी मनोदशा बिगड़ चुकी है। खाना-पीना छोड़ चुकी निमिषा को एक उम्मीद ने सहारा दिया है। वह है ब्लड मनी, अगर ब्लड मनी पर बात बन जाती है, तो शायद निमिषा को नई जिंदगी मिल सकती है।
केरल के पलक्कड़ की रहनेवाली नर्स निमिषा पर आरोप है कि उसने २०१७ में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी को दवा का ओवरडोज देकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में उसे २०२० में मौत की सजा सुनाई गई थी। अब यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने सजा को मंजूरी दे दी है। जबसे राष्ट्रपति द्वारा सजा पर मुहर लगाई गई है, तब से निमिषा और उसके परिवारवालों का बुरा हाल है। २०१७ से यमन की जेल में बंद निमिषा ने अपने वकील के जरिए परिजनों को संदेश दिया है कि उसे किसी भी हाल में बचाने की कोशिश करें। अपने बच्चे और परिवार के लिए वह पल-पल तड़प रही है। परिजनों ने फांसी की सजा को रोकने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई है। साथ ही यमन में केस की मध्यस्थता करनेवाले यमनी वकील को भारतीय दूतावास के मार्फत ३८ लाख रुपए ट्रांसफर भी कर दिए हैं, बावजूद इसके उम्मीद टूटती नजर आ रही है। जेल की काल कोठरी में मौत के साये में जी रही निमिषा की सारी उम्मीदें भले ही खत्म हो गई हैं, लेकिन एक उम्मीद शायद बचा सकती है और वो है ब्लड मनी। शरिया कानून के मुताबिक पीड़ित पक्ष को अपराधियों की सजा तय करने का हक है। हत्या के मामले में मौत की सजा है, लेकिन पीड़ित परिवार पैसे लेकर दोषी को माफ कर देता है, तो उसे ब्लड मनी कहा जाता है। यही एक उम्मीद है, जिससे निमिषा को नई जिंदगी मिल सकती है। बेबस, लाचार, मजबूरी और मौत के खौफनाक साये में जी रही निमिषा को क्या नई जिंदगी मिल पाएगी? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
कहते हैं न, ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोई’, इसी तरह अगर निमिषा की जिंदगी बाकी होगी तो वह किसी न किसी बहाने से मौत के मुंह से बाहर आ जाएगी।