नागमणि पांडेय
हत्या किए जाने की आप कई घटनाएं सुने होंगे। कोई बदला लेने के लिए हत्या करता है, तो कोई संपति विवाद में हत्या करता है। लेकिन किसी पिता द्वारा अपनी बेटी की हरकतों से नाराज होकर हत्या किए जाने के बारे में आपने बहुत कम सुना होगा। २१वीं सदी के शहर नई मुंबई के उरण में एक बाप ने अपनी बेटी की हत्या कर शव को जंगल में फेंक दिया और जलाने की कोशिश की, ताकि उसकी पहचान नहीं हो सके। लेकिन वह यह भूल गया कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है। अधजले शव के हाथ पर बने नाम के टैटू ने आखिरकार पुलिस को अपराधी तक पंहुचा ही दिया। जिसके बाद पुलिस हत्यारे पिता को हवालात तक पहुंचाने में सफल रही।
तत्कालीन सहायक पुलिस उपायुक्त शशिकांत बोराडे को इंद्री पहाड़ी के जंगलों में एक लड़की का शव होने की जानकरी मिली थी। लेकिन इस बारे में कोई भी बोलने को तैयार नहीं था। इसकी जानकारी वहीं रहनेवाले राजकुमार भगत को हुई, उसने इसकी सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस ने स्थानीय नागरिकों की मदद से ८ फरवरी २०१५ को लड़की का शव बरामद कर लिया। शव जानवरों द्वारा खाया हुआ था, जिसके कारण शव चारों तरफ पैâला हुआ था। हत्यारों ने लड़की की हत्या करने के बाद शव को जलाने की कोशिश की थी। वहां राख, नीबू, फूलों का हार और अगरबत्ती मिलने से पुलिस ने नरबलि की संभावना जताई थी। अज्ञात लोगों द्वारा जंगल में लाकर लड़की की हत्या की संभावना जताई जा रही थी। लड़की के बाल खून से सने हुए थे। लड़की के शव के पास कपड़े का बैग मिला था। इस बैग पर सिद्धि नाम का प्लास्टिक का ब्रेसलेट, एस नाम का पर्स और पेंडल, नीले रंग का ड्रेस, पुराना कपड़ा, पनवेल-पेण एसटी बस का टिकट और मेकअप का सामान मिला था। कपड़ा देखकर यह शव लगभग १५ वर्षीया लड़की का होने का अंदाजा जताया जा रहा था। सहायक पुलिस आयुक्त शशिकांत बोराडे ने बताया कि शव की हड्डियों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया था। इस बीच उरण पुलिस ने आस-पास के पुलिस स्टेशनों में सिद्धि नाम की गायब हुई लड़की की गुमशुदगी के रिपोर्ट की खोज ली व अन्य माध्यमों से भी जानकारी लेनी शुरू कर दी थी। दूसरी ओर पुलिस की एक टीम लावारिश लाश की खोज करते हुए सीधे सिद्धि के पिता सुनील घरत के घर तक पहुंच गई तो पुलिस को जानकारी मिली कि उरण के पास केलवणे गांव की रहनेवाली सिद्धि पिछले काफी दिनों से घर नहीं आई है और न ही इस बाबत कोई शिकायत पुलिस में दर्ज की गई थी। इससे पुलिस का संदेह घरवालों की तरफ जा रहा था। इसके बाद पुलिस ने घरवालों से पूछताछ करनी शुरू कर दी। प्राथमिक पूछताछ में ही सिद्धि के पिता सुनील घरत ने इस हत्या की बात स्वीकार कर ली। पूछताछ में सुनील घरत ने बताया कि मृत युवती सिद्धि के बार-बार घर छोड़कर चले जाने की आदत से सुनील घरत व उसका पूरा परिवार बहुत तनाव में रहता था और गांव व समाज में इससे काफी बदनामी हो रही थी। बेटी की इस आदत से परेशान घरवालों ने उसे कई बार समझाने की कोशिश भी की, परंतु वह अपनी आदतों पर कायम थी। इसी दौरान सिद्धि एक बार फिर से ४ जनवरी को घर से १५ दिनों के लिए गायब हो गई थी। इससे उसके पिता सुनील को उससे नफरत हो गई थी। जब सिद्धि वापस घर लौटी तो उसके पिता सुनील घरत ने उससे कहा कि हम तुझे अपने से मुक्त करते हैं और अब तुम हमेशा के लिए इस घर से निकल जाओ। २० जनवरी को सुनील घरत ने सिद्धि को इंद्रायणी पहाड़ी पर ले जाकर उसकी ओढ़नी से उसका गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया। हत्या के बाद सुनील घरत ने सिद्धि के शव को वहीं झाड़ियों में छिपा दिया तथा वहां से घर लौट आया। बेटी की हत्या का जब उसे पश्चाताप होने लगा, तब उसने दो-तीन दिन बाद अपनी पत्नी से मृत बेटी की आत्मा की शांति के लिए पूजा करने की बात कही। इसके बाद वह पूजा की सामग्री लेकर २६ जनवरी को पुन: इंद्रायणी की पहाड़ियों पर गया। वहां जाकर उसने बेटी के शव को अग्नि देकर उसकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ किया।
इसके बाद पुलिस ने सुनील के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। लगभग चार साल चली सुनवाई के बाद अलीबाग सत्र न्यायालय ने इस हत्या में पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश किए गए सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी पिता को उम्रवैâद की सजा सुनाई है।