मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : बिना तलवार, बिना युद्ध सपनों का साम्राज्य खुद बनाएं!

निवेश गुरु : बिना तलवार, बिना युद्ध सपनों का साम्राज्य खुद बनाएं!

भरतकुमार सोलंकी
भारत का इतिहास सैकड़ों रियासतों, उनके उत्थान-पतन और सत्ता संघर्षों का सजीव उदाहरण है। प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक राजा-महाराजाओं का सबसे प्रमुख लक्ष्य अपने साम्राज्य का विस्तार और स्थायित्व बनाए रखना रहा है। इस क्रम में अक्सर छोटे-छोटे रजवाड़ों को भेंट में देना, राजनीतिक विवाहों के जरिए संबंधों को मजबूत करना और कूटनीति के माध्यम से सत्ता संतुलन बनाए रखना आम बात थी। ये सभी तरीके राजा-महाराजाओं के बीच वर्चस्व बनाए रखने के उपाय थे। हालांकि, इस समय सत्ता प्राप्त करने का एक प्रमुख साधन युद्ध था, जहां एक राजा दूसरे राजा की रियासत पर आक्रमण कर उसे अपने साम्राज्य में शामिल कर लेता था।
समय बीतने के साथ, शिक्षित संत्री-मंत्रियों की संख्या बढ़ी और इसने शासन प्रणाली में कागजी कार्यवाही की शुरुआत की। अब न केवल युद्ध, बल्कि समझौतों के जरिए भी सत्ता हासिल की जाने लगी। इन समझौतों को कागज पर लिखा जाने लगा और उस पर हस्ताक्षर किए जाने लगे। यह प्रणाली धीरे-धीरे पूरे भारत में प्रचलित हुई और इसने शासकों के बीच एक नया चलन शुरू किया- समझौतों के माध्यम से सत्ता का हस्तांतरण। साम्राज्यों के स्वरूप और शासन करने के तरीकों में बदलाव तब आया, जब औद्योगिक क्रांति ने भारत सहित पूरे विश्व को प्रभावित किया। इस समय राजा-महाराजाओं की सत्ता धीरे-धीरे कम होती गई और नए आर्थिक मॉडल सामने आए। विशेष रूप से उपनिवेशवाद और इसके साथ आई आर्थिक नीतियों ने रियासतों की शक्ति को कमजोर कर दिया। ब्रिटिश शासन के अंतर्गत रजवाड़ों का पतन हुआ और आधुनिक शासन प्रणाली की नींव रखी गई। आधुनिक युग में रियासतों का स्थान बड़े कॉर्पोरेट घरानों ने ले लिया है। पुराने समय में जो काम तलवार और युद्ध के माध्यम से होता था, अब वह आर्थिक रणनीतियों और शेयर बाजार के माध्यम से हो रहा है। आज के समय में बड़े उद्योगपति और कॉर्पोरेट कंपनियां, शेयर इक्विटी को खरीदने और बेचने के माध्यम से कंपनियों पर नियंत्रण हासिल कर रही हैं। ये कंपनियां विभिन्न देशों में अपना आर्थिक साम्राज्य पैâला रही हैं, जैसे कि एक समय में राजा अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। इस प्रकार सत्ता संघर्ष की पुरानी परंपरा आज के कॉर्पोरेट युग में एक नए रूप में देखी जा सकती है। आज के दौर में साम्राज्य बनाने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। अब किसी को तलवार या युद्ध के मैदान में उतरने की आवश्यकता नहीं है। आर्थिक और तकनीकी विकास ने ऐसे अवसर प्रदान किए हैं जहां लोग अपने कौशल, निवेश और रणनीतिक सोच के माध्यम से अपना साम्राज्य खड़ा कर सकते हैं। व्यापार, स्टार्टअप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने सामान्य व्यक्ति को भी वह ताकत दी है कि वह अपने विचारों को बड़ा रूप देकर वैश्विक स्तर पर पहचान बना सके। चाहे वह किसी कंपनी का मालिक हो या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, आज हर कोई अपने खुद के साम्राज्य का निर्माण कर सकता है, बशर्ते उसके पास दृढ़ इच्छाशक्ति और सही रणनीति हो।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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