मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : रिस्क को मिनीमाइज कैसे करें?

निवेश गुरु : रिस्क को मिनीमाइज कैसे करें?

भरतकुमार सोलंकी

वस्तुओं के दाम मांग-आपूर्ति के आधार पर बदलते हैं।
एक मित्र ने पूछा है कि दोस्त, सगे-संबंधी को उधार या ब्याज पर पैसा देना भी उतना ही रिस्क है जितना बैंक में रखना?
पैसा किसी को भी देना रिस्क तो है लेकिन आप उन पैसों पर रिस्क को मिनीमाइज वैâसे कर सकते हैं। आपके १०० रुपए को १०० कंपनियों में निवेश करने पर हर एक कंपनी पर आपकी रिस्क एक प्रतिशत हो जाती है। इसी तरह आपके १०० रुपए को २०० कंपनियों में निवेश करने पर आपकी रिस्क एक कंपनी पर आधा प्रतिशत हो जाती है। इस तरह बैंक के फंड मैनेजर आपकी एफडी के पैसों को सैकड़ों कंपनियों में निवेश करते हैं, उसमें से कोई एक कंपनी डूब गई तो उस बैंक और आपकी एफडी का एक छोटा-सा हिस्सा ही डूबता है। अन्य शेष सैकड़ों कंपनियां ब्याज मुनाफा देती रहती हैं। बैंक द्वारा निवेश की गई सारी की सारी कंपनियां तो एक साथ कभी नहीं डूबती हैं। इस तरह बैंक आपकी पूंजी को डायवर्सीफाइड कर रिस्क को मिनीमाइज करता है। अब घर की अलमारी या लॉकर में तो पैसा बढ़ेगा नहीं और पैसे को बढ़ाने के लिए रिस्क तो लेना ही पड़ेगा। हां, रिस्क को मिनीमाइज जरूर किया जा सकता है।
हाल ही में अमेरिका के एसवीबी और सिग्नेचर बैंक के धराशायी होने की खबरों से पूरे विश्व की वित्तीय प्रणाली को झटका लगा है और भारत में भी बैंकिंग क्षेत्र के निवेशकों की भावनाएं कमजोर हुई हैं। बीते हफ्ते बैंकिंग शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर इसका सीधा असर मामूली सा है। बैंक शेयरों में बिकवाली के चलते इस सेक्टर के म्युचुअल फंडों में भी गिरावट दर्ज हुई है।
शेयर बाजार के खुलते ही रोजाना उस पर लिस्टेड बैंकों और उससे संबंधित कंपनियों के भाव में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक है क्योंकि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिस पर इन कंपनियों के शेयर्स की खरीद-बिक्री आसान है। भविष्य में ऐसा भी हो सकता है कि हमारे घर-मकान प्रॉपर्टी भी स्टॉक मार्वेâट में लिस्टेड हो जाए तो उनके दाम भी रोज बदलते हुए देखे जा सकते हैं। रियल इस्टेट सेक्टर में अभी इतनी लिक्विडीटी नहीं है जिस दिन ऐसा होगा उस दिन हमारे अपने घरों के दाम को भी रोज बदलते देखा जाएगा।
सोना-चांदी, तांबा-पीतल, स्टील, पेट्रोल-डीजल के अलावा ग्वार, ज्वार-बाजरा जैसी अनेक कमोडीटीज हैं जिनके दाम ऐसे ही रोज बदलते देखे जा रहे हैं। शेयर्स अथवा वस्तुओं के दाम बाजार में उन वस्तुओं की डिमांड-सप्लाई पर निर्भर करते हैं। दुनिया में जब तक लोग जीवित हैं, रोज बाजार खुलते रहेंगे और बाजार में वस्तुओं के दाम उनकी मांग और आपूर्ति के आधार पर बदलते रहेंगे, घबराए नहीं लोग जिंदा हैं तब तक बाजार प्रतिदिन खुलते रहेंगे।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

अन्य समाचार