मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : पैतृक संपत्ति पर लगता है इनहेरिटेंस टैक्स

निवेश गुरु : पैतृक संपत्ति पर लगता है इनहेरिटेंस टैक्स

भरतकुमार सोलंकी

पैतृक संपत्ति पर लगने वाला इनहेरिटेंस टैक्स क्या है? भारत में यह टैक्स कब लगाया गया था? अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स विरासत में मिली संपत्ति के एक हिस्से पर ही लगता है। वह भी तब, जब इस संपत्ति की कीमत एक सीमा से ज्यादा हो। १० लाख डॉलर तक की संपत्ति इस टैक्स से मुक्त है।
क्या आपको अपने दादा, परदादा या पिता से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स देना चाहिए? बेशक आप इसका जवाब नहीं में देंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह इनहेरिटेंस टैक्स क्या है? आखिर इस टैक्स को लेकर राजनीतिक हलकों में सरगर्मी क्यों बढ़ गई है? लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि यह इनहेरिटेंस टैक्स क्या है।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इनहेरिटेंस टैक्स विरासत में मिली संपत्ति पर लगाया जाने वाला टैक्स है। अगर आपको अपने दादा-दादी या पिता से कोई संपत्ति विरासत में मिली है, तो उस पर यह टैक्स लगता है। चिंता न करें, भारत में अभी तक इस पर टैक्स नहीं लगाया जाता है। लेकिन पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में जब कोई पिता अपने बेटे को संपत्ति देता है तो सरकार उसका ५५ प्रतिशत हिस्सा ले लेती है।
अमेरिका की बात करें तो वहां उत्तराधिकार कर पर कोई संघीय कानून नहीं है। हालांकि, कई राज्य दो तरह के कर लगाते हैं। उत्तराधिकार कर और संपदा कर। संपत्ति कर मृतक व्यक्ति की संपत्ति के कुल मूल्य पर लगाया जाता है। उत्तराधिकार कर उन लोगों पर लगाया जाता है, जो अपने पूर्वजों से संपत्ति या संपत्ति विरासत में प्राप्त करते हैं।
उत्तराधिकार कर: इसकी गणना कैसे की जाती है?
उत्तराधिकार कर विरासत में मिली संपत्ति के केवल एक हिस्से पर लागू होता है। वह भी तब जब इस संपत्ति का मूल्य एक सीमा से अधिक हो। १० लाख डॉलर तक की संपत्ति को इस कर से छूट दी गई है। इससे अधिक मूल्य की संपत्ति पर कर की दरें १ प्रतिशत से १८ प्रतिशत तक हैं। इन्वेस्टोपेडिया के अनुसार, अमेरिका के छह राज्यों में अगर मृतक व्यक्ति की पत्नी जीवित है तो उसे उत्तराधिकार कर से छूट दी जाती है।
उत्तराधिकार कर भारत में कभी लगाया गया था?
भारत में उत्तराधिकार कर को १९८५ में समाप्त कर दिया गया था। इसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने समाप्त कर दिया था। जब यह कानून लागू था, तब यह कर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके बच्चों या नाती-नातिनों को हस्तांतरित की गई संपत्ति पर लगाया जाता था। एस्टेट ड्यूटी एक्ट, १९५३ के तहत विरासत में मिली संपत्ति के मूल्य के ८५ प्रतिशत तक एस्टेट ड्यूटी लगाई जाती थी।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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