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निवेश गुरु: निवेश गुरु: कर्ज को चालाकी नहीं, जिम्मेदारी समझें: कहीं आपके बैंक खाते ही न रुक जाएं

भरतकुमार सोलंकी

डिजिटल-तकनीकी युग ने हमारी जिंदगी को जितना आसान बनाया हैं, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी। आज क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे बिना रेहन दिए गए ऋण लेना बेहद आसान हो गया हैं। बिना किसी अमानत या गारंटी के ऐसे कर्ज लेना कई बार आकर्षक लगता हैं, लेकिन इसकी अदायगी में चूक आपके वित्तीय जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।हाल ही में आरबीआई ने चेतावनी दी हैं कि असुरक्षित कर्ज की बढ़ती प्रवृत्ति न केवल बैंकों पर दबाव डाल रही हैं, बल्कि ऋण लेने वालों के लिए भी खतरा बनती जा रही हैं।वसूली-एजेंटों की बढ़ती मांग और डिफॉल्टरों की संख्या में वृद्धि इस समस्या की गंभीरता को और गहरा कर रही हैं।

सरकार और बैंक अब इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं। पैन-आधार को पहले से ही अनिवार्य रूप से लिंक कर दिया हैं।अब तकनीकी युग में वसूली के लिए यह संभव हो गया हैं कि डिफॉल्टरों के पैन से जुड़े सभी बैंक खाते ब्लॉक कर दिए जाएं। ऐसे खातों में जमा करने की सुविधा तो रहेगी, लेकिन निकासी-भुगतान पूरी तरह से रोक दी जाएगी। सवाल उठता हैं कि यदि किसी व्यक्ति के सारे बैंक खाते ब्लॉक कर दिए जाएं, तो वह जिएगा कैसे? आज हमारी जेब में नकदी की जगह मोबाइल एप्स ऑनलाइन भुगतान प्रणाली ने ले ली हैं, ऐसे में बैंक अकाउंट का ब्लॉक होना न केवल वित्तीय संकट बल्कि जीवन को ठप कर देने जैसा हैं।

ऐसे में यह जरूरी हो जाता हैं कि कर्ज लेने वाले अपनी फिजूलखर्ची पर लगाम लगाएं और आय-खर्चों के बीच संतुलन बनाए रखें। अनियंत्रित खर्च करने की आदते ही आमतौर पर कर्ज के जाल में फंसने का मुख्य कारण बनती हैं। क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे कर्ज ब्याज के साथ चुकाने पड़ते हैं और इनकी अदायगी में देरी न केवल अतिरिक्त ब्याज जोड़ती हैं, बल्कि आपकी वित्तीय स्थिति को भी कमजोर करती हैं।यह जरूरी हैं कि हर व्यक्ति अपनी जरूरतों और इच्छाओं में फर्क करना सीखे। गैर-जरूरी खर्चों से बचना और आवश्यक वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना आज समय की मांग हैं।

इसके अलावा, हर महीने अपनी आय-खर्च का बजट बनाना भी बेहद जरूरी हैं। सुनिश्चित करे कि आपकी आय का एक हिस्सा बचत में जाए। बचत न केवल भविष्य को सुरक्षित करती हैं, बल्कि किसी आपात स्थिति में कर्ज लेने की जरूरत से भी बचाती हैं।साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण हैं कि कर्ज लेने से पहले उसकी शर्तों को समझे और अपनी क्षमता का आकलन करे। यदि आपकी मासिक आय कर्ज की ईएमआई चुकाने के बाद आपकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती, तो ऐसे कर्ज से दूर रहना ही बेहतर हैं।

वर्तमान में बैंकों और एनबीएफसी की प्राथमिकता कर्ज की वसूली पर हैं। कई बैंक और एनबीएफसी अब अपने कर्मचारियों को भी वसूली के काम में लगा रहे हैं। साथ ही, वसूली एजेंटों की संख्या भी तेजी से बढ़ाई जा रही हैं।लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं।कर्ज लेने वालो को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। खासकर, जो लोग कर्ज लेकर एक कर्ज से दूसरे कर्ज की अदायगी करते हैं, उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। यह प्रवृत्ति न केवल वित्तीय अनुशासन को कमजोर करती हैं,बल्कि आपको डिफॉल्टर की सूची में डाल सकती हैं।

आखिरकार, यदि सरकार और बैंक डिफॉल्टरों के बैंक खातों को ब्लॉक करने की नीति अपनाते हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी। डिजिटल युग में जहां लेन-देन का अधिकांश हिस्सा ऑनलाइन होता हैं, वहां बैंक खाते का ब्लॉक होना आपके पूरे वित्तीय जीवन को ठप कर सकता हैं।ऐसे में यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी हैं कि वह अपनी आय और खर्च के बीच तालमेल बनाए, फिजूलखर्ची पर लगाम लगाए और बजटिंग और बचत को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाए। याद रखें, कर्ज से बचना ही आपके वित्तीय और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर रास्ता हैं।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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