भरतकुमार सोलंकी
मुंबई
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले हम अक्सर एक सवाल पूछते हैं कि इसमें कितना जोखिम है? लेकिन क्या वाकई बाजार उतना ही जोखिम भरा है जितना हम मानते हैं या असली जोखिम हमारे खुद के फैसलों में छिपा है? जब कोई निवेशक बाजार में पैसा लगाता है तो वह उम्मीद करता है कि उसका निवेश समय के साथ बढ़ेगा, लेकिन जैसे ही बाजार गिरता है, घबराहट बढ़ जाती है और लोग जल्दबाजी में पैसा निकालने का फैसला कर लेते हैं। अब सोचिए, क्या यह नुकसान बाजार की अस्थिरता से हुआ या आपकी अपनी जरूरतों और डर की वजह से? म्युचुअल फंड में निवेश करनेवाले अक्सर इस भ्रम में रहते हैं कि अगर बाजार गिरा तो उनका पैसा डूब सकता है, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि लार्ज कैंप, मिड कैंप और स्मॉल कैंप कंपनियों में निवेश करनेवाले फंड मैनेजर किस तरह से पोर्टफोलियो तैयार करते हैं? टॉप १०० कंपनियों को लार्ज कैंप कहा जाता है, जो सबसे स्थिर और भरोसेमंद होती हैं। इनके बाद मिड कैंप कंपनियां आती हैं, जो बढ़ती हुई कंपनियां होती हैं और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखती हैं। वहीं स्मॉल वैâप कंपनियां जो २५१ से ५०० रैंक के बीच आती हैं, उनमें उतार-चढ़ाव अधिक होता है, लेकिन सही रणनीति के साथ इनमें भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि अगर ए, बी और सी क्लास की कंपनियों में लॉन्ग टर्म निवेश किया जाए और वह भी म्युचुअल फंड के फंड मैनेजरों की देखरेख में तो जोखिम कहां है? हां, डी क्लास की माइक्रो वैâप कंपनियों में निवेश जोखिम भरा होता है, क्योंकि वे अस्थिर होती हैं और लिक्विडिटी की समस्या से जूझती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अच्छी कंपनियों में निवेश के बावजूद भी लोग क्यों नुकसान उठाते हैं? इसका जवाब सीधा है वे अपनी जरूरतों की वजह से गलत समय पर निवेश निकालते हैं। मार्केट कभी भी स्थिर नहीं रहता। २००८ की मंदी आई, २०२० में कोविड के कारण बाजार गिरा, २०२२ में फिर उतार-चढ़ाव हुआ। लेकिन हर बार बाजार ने रिकवरी की और जो निवेशक धैर्य बनाए रखे, उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया। दूसरी ओर जो डरकर घाटे में निवेश बेचकर निकले, उन्होंने ही असली नुकसान उठाया। अब सोचिए, दोष बाजार का था या निवेशक की जल्दबाजी का? लोग अकसर बाजार को दोष देते हैं, लेकिन क्या उन्होंने अपनी रणनीति सही रखी थी? अगर आपकी जरूरतें ऐसी हैं कि कभी भी पैसों की आवश्यकता पड़ सकती है, तो क्या आपने इमरजेंसी फंड बनाया था? अगर आपका निवेश लॉन्ग टर्म के लिए था, तो क्या आपने छोटी गिरावटों से डरना छोड़ दिया था? सच्चाई यह है कि बाजार में असली जोखिम उतना बड़ा नहीं होता जितना हम उसे बना देते हैं। असली चुनौती यह है कि हम अपनी जरूरतों और डर को संभाल सकें और सही समय तक निवेश बनाए रख सकें। इसलिए अगली बार जब बाजार में गिरावट आए, तो खुद से यह सवाल जरूर पूछें कि क्या यह असली नुकसान है या सिर्फ एक अस्थायी स्थिति? क्या बाजार को दोष देना सही होगा या यह सिर्फ मेरी खुद की जरूरतों और गलत फैसलों का नतीजा है? जवाब आपके पास है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)