मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : चक्रव्यूह में फंसाता है साहूकारी ब्याज

निवेश गुरु : चक्रव्यूह में फंसाता है साहूकारी ब्याज

भरत कुमार सोलंकी
मुंबई

गोड़वाड़-जैन समाज के अधिकांश व्यापारी अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए साहूकारी ब्याज पर उधार रकम लेकर काम करते हैं। यह स्थिति उन्हें एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसा देती है, जिसमें ब्याज का बढ़ता बोझ उनके मुनाफे को खा जाता है और उनके व्यवसाय के विस्तार की संभावनाए कम हो जाती हैं। एक वित्त विशेषज्ञ के रूप में इस समस्या का गहराई से विश्लेषण करते हुए इसका समाधान प्रस्तुत करना आवश्यक है, ताकि व्यावसायियों को वित्तीय स्थिरता प्राप्त हो सके और वे अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।
व्यापार की संरचना तीन मुख्य चरणों में विभाजित होती है: मैन्युपैâक्चरिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेलिंग। मैन्युपैâक्चरिंग और रिटेलिंग मॉडल प्राय: वैâश पर आधारित होते हैं, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन में नकदी प्रवाह का संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डिस्ट्रीब्यूटर्स को निर्माता से सामान वैâश में खरीदना पड़ता है, लेकिन रिटेलर्स को अधिक बिक्री के उद्देश्य से उधार पर देना होता है। यह असंतुलन नकदी की कमी को जन्म देता है, जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स को साहूकारी ब्याज पर पैसा उधार लेने की मजबूरी हो जाती है। ये ब्याज दरें अत्यधिक होने के कारण उनके मुनाफे का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में ही समाप्त हो जाता है, जिससे व्यापार में विस्तार और नवाचार के लिए वित्तीय साधनों की कमी बनी रहती है।
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि डिस्ट्रीब्यूशन समुदाय के लिए अब तक किसी कॉर्पोरेट संरचना का अभाव है। इस क्षेत्र में असंगठित वित्तीय मॉडल और नकदी प्रवाह की समस्या के कारण बड़ी कंपनियां निवेश करने से बचती हैं। अगर डिस्ट्रीब्यूटर्स संगठित वित्तीय संरचना और साझेदारी के माध्यम से स्थायित्व स्थापित करने में सक्षम हो सकें, तो वे निवेशकों का समर्थन पा सकते हैं और स्वयं को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कर सकते हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति सुदृढ़ हो सकती है। इस समस्या का समाधान भागीदारी और जॉइंट वेंचर में निहित है। जब डिस्ट्रीब्यूटर्स साझेदारी करते हैं, तो उन्हें व्यापार में नए निवेश और संसाधनों तक पहुंच मिलती है, जिससे व्यवसाय को नई दिशा मिल सकती है। मानकचंद राठौड़ जैसे निवेशकों का ब्याज-मुक्त निवेश मॉडल डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए एक उत्तम विकल्प हो सकता है। इस प्रकार की पहलें व्यावसायियों को वित्तीय सुरक्षा और विकास का अवसर प्रदान करती हैं, जो उन्हें साहूकारी ब्याज के जाल से बाहर निकालने में सहायक हो सकती हैं। व्यापार को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता प्रदान करना एक कठिन परंतु संभव लक्ष्य है। गोड़वाड़ के डिस्ट्रीब्यूटर्स को पारंपरिक वित्तीय साधनों की सीमाओं से बाहर निकलते हुए साझेदारी और निवेश के नए विकल्पों को अपनाने की दिशा में सोचना होगा। इस प्रकार की पहलें न केवल व्यक्तिगत व्यापारियों को लाभकारी होंगी, बल्कि समग्र समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी। इस आलेख को पढ़ने के बाद अन्य समाजों के व्यावसायियों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए कि वे साझेदारी और समझदारीपूर्ण निवेश के माध्यम से साहूकारी ब्याज के जाल से मुक्त होकर अपने व्यापार को सशक्त बना सकते हैं।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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